
– रामरानी की अंतिम इच्छा के तहत जागेश्वर धाम के तट पर होगा विदेशी भक्त का अंतिम संस्कार
हल्द्वानी, डीडीसी। बाबा नीब करौरी में भक्तों की आस्था सात समंदर पार भी उतनी गहरी है जितनी यहां भारत में। एक अमेरिकी महिला पर बाबा की भक्ति का नशा ऐसा चढ़ा कि वो यहीं बस गई। बाबा से उसे नाम और गुरु मंत्र मिला। उसकी अंतिम इच्छा भारत की मिट्टी में मिलने की थी और जब मृत्यु हुई तो पूरे हिन्दू रीति-रिवाज से प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में उसका अंतिम संस्कार कराया गया।
अमेरिका से भारत आई यवेटी की बेटी
बाबा नीब करौरी की असीम भक्ति अमेरिकी लेखिका यवेटी क्लेरी रोजर उर्फ रामरानी (63) को भारत खींच लाई। वो कौसानी स्थित आश्रम में बसीं और बाबा की भक्ति की। उनकी अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार जागेश्वर के तट पर पूरे हिंदू रीति-रिवाज के साथ कराया जाए। ऐसा ही हुआ और गुरुवार को अमेरिका से हल्द्वानी पहुंची रामरानी की बेटी क्रिस्टिना अंतिम संस्कार के लिए जागेश्वर ले गईं।
यहां मिनाक्षी थी यवेटी कि सबसे अच्छी दोस्त
कई साल पहले भारत आईं अमेरिकी लेखिका यवेटी क्लेरी रोजर उर्फ रामरानी का शनिवार को अस्थमा का अटैक पड़ने की वजह से निधन हुआ। मूलरूप से अमेरिका के टेक्सास की रहने वाली रामरानी चोरगलिया निवासी योग और ध्यान की शिक्षिका मिनाक्षी बजेठा की दोस्त थीं। शनिवार रात जब उन्हें अस्थमा का अटैक पड़ा तो वह कौसानी स्थित आश्रम में थीं। यहीं मिनाक्षी का ननिहाल है और इसी वजह से दोनों अच्छी दोस्त थीं।
पूजा-पाठ में बीतती थी यवेटी की दिनचर्या
मौत के बाद जब रामरानी का पासपोर्ट चेक किया गया तो उनके परिजनों से संपर्क हो पाया। गुरुवार को रामरानी की बेटी क्रिस्टिना खबर पाकर हल्द्वानी पहुंची। जिसके बाद कागजी कार्रवाई की गई और मां का शव क्रिस्टिना के सुपुर्द कर दिया। मिनाक्षी ने बताया कि रामरानी की दिनचर्या पूजा-पाठ में बीतती थी और उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी मृत्यु भारत की धरती पर हो। इतना ही नहीं वह ये भी चाहती थीं कि मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार जागेश्वर धाम में किया जाए।
बेटी ने रखा मां की अंतिम इच्छा का सम्मान
उनकी अंतिम इच्छा जानने के बाद बेटी क्रिस्टिना ने अंतिम संस्कार के लिए मां के शव को जागेश्वर धाम ले गईं। पूरे प्रकरण की रिपोर्ट पुलिस ने विदेश मंत्रालय को भेज दी है।
बेटी शक्ति और बेटे का नाम जय हनुमान
मिनाक्षी ने बताया कि रामरानी को यह नाम बाबा नीब करौरी से मिला था। वह बाबा नीब करौरी की असीम भक्त थीं और यही वजह से थी कि उन्होंने अपने बच्चों के नाम भी हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे। रामरानी ने अपनी बेटी क्रिस्टिना को शक्ति कहकर पुकारती थीं, जबकि बेटे का नाम उन्होंने जय हनुमान रखा था।
17 साल की उम्र में बाबा ने दिया था रामरानी नाम
वर्ष 2014 में रामरानी पूरी तरह कौसानी स्थित आश्रम में आकर बस गईं। वह बाबा नीब करौरी से इतना प्रभावित थीं कि वह अकसर बाबा नीब करौरी के दर्शन करने आती थीं। बताते हैं कि जब वह 17 साल की थीं, तब भी वह बाबा नीब करौरी के दर्शन को आईं थी और बाबा नीब करौरी ने उन्हें न सिर्फ रामरानी नाम दिया बल्कि गुरुमंत्री भी दिया।