
स्पेशल रिपोर्ट, डीडीसी। अधिकांश भारतीयों को लगता है कि भारत और विश्व से अब कोरोना का संकट रफ्ता-रफ्ता टल रहा है, लेकिन ये सिर्फ हमारी कोरी कल्पना है। क्योंकि कोरोना फिलहाल तो कहीं जाने वाला नही है और अब यह वैक्सीन के साथ भी कम से कम वर्ष 2025 तक परेशान करेगा। इन सबके बीच सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि कोरोना अब अपने साथ भुखमरी भी लेकर आ रहा है और इसका खामियाजा विश्व के तमाम देशों को भुगतना होगा।
आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल में 13.5 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार थे और इस साल के आखिर तक और 13 करोड़ लोग भूख से जूझेंगे। सीधे शब्दों में कहें तो वर्ष 2020 से भी ज्यादा खराब होगा 2021। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगले साल दुनिया भर में अर्थव्यवस्था रिकवर होगी, तो यूएन की संस्था इस तरह की चेतावनी क्यों दे रही है? क्यों कहा जा रहा है कि धन का बड़ा संकट होगा, जिससे भूख की समस्या विकराल हो जाएगी? संयुक्त राष्ट्र की जिस फूड प्रोग्राम संस्था को इस साल नोबेल पुरस्कार दिया गया, वो अस्ल में इस बात का संकेत है कि अगले साल यानी 2021 में इस संस्था के सामने और कड़ी चुनौती होने वाली है। माना जाए तो एक तरफ अर्थव्यवस्थाएं झटके में हैं तो अगले साल बढ़ती गरीबी की हालत में भुखमरी की समस्या और विकराल होने को है। डब्ल्यू.एफ.पी. के प्रमुख डेविड बीस्ले ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरफ दुनिया के प्रमुख देशों ने समय से ध्यान नहीं दिया तो एक भयानक संकट मुंह बाए खड़ा है। बीस्ले ने कोविड 19 के प्रकोप के शुरूआती दौर अप्रैल में ही चेतावनी दी थी कि भुखमरी एक वैश्विक महामारी बनने जा रही है। दरअसल, इस साल प्राकृतिक प्रकोप सामने आया तो देशों के कोषों में रकम थी, लेकिन महामारी से अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ी हैं और गिरावट लगातार जारी है। ऐसे में अगले साल धन का संकट होगा। कम और मध्यम आय वाले देशों में आर्थिक संकट कहर ढाएगा। ऐसे में जिन देशों फिर लॉकडाउन की नौबत आ रही है, उन्हें सचेत रहना होगा। ऐसे तमाम देशों में माइग्रेशन, बेरोज़गारी और गरीबी बढ़ी है और तीन दर्जन देशों पर संभवत: अकाल जैसे हालात सामने आएंगे। अब उस स्थिति को टालने के लिए डब्ल्यूएफपी के पास पर्याप्त पैसा होना चाहिए। बावजूद इसके अगर वैक्सीन आ भी जाती है तो भी 2025 तक सर्दियों के हर मौसम में कोरोना वायरस संक्रमण बड़ी समस्या होगा। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को अगले साल भुखमरी से निपटने के लिए 5 अरब डॉलर चाहिए होंगे और संस्था के ग्लोबल प्रोग्रामों को चलाने के लिए 10 अरब डॉलर जमा करने होंगे, ताकि भुखमरी से लड़ा जा सके।
अमेरिका में स्पेनिश फ्लू से ज्यादा घातक होगा कोरोना
वर्ष 1918 के स्पैनिश फ्लू से अमेरिका में 6,75,000 मौतें हुई थीं। 2021 के आखिर तक कोविड से होने वाली मौतों का आंकड़ा अमेरिका में इसके बहुत करीब पहुंच जाएगा। आने वाले सालों में स्पैनिश फ्लू से हुई मौतों के आंकड़े को कोविड पार कर जाएगा।