– सकते में है सरकार कि अगर ढील दी तो फिर बढ़ सकता है संक्रमण

हल्द्वानी, डीडीसी। 15 जून की सुबह 6 बजे से उत्तराखंड में कोविड कर्फ्यू खत्म हो रहा है। जनता और खास तौर पर व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि तीरथ सरकार अब कर्फ्यू खत्म कर देगी, लेकिन जनता और व्यापारियों की इस उम्मीद पर पानी फिर सकता है। वजह ये कि उत्तराखंड सरकार डरी हुई है। डर ये है कि अगर कर्फ्यू पूरी तरह खत्म किया तो संक्रमण फिर से पांव पसार सकता है, जो कि अभी पूरी तरह से गया नही है। सूत्रों की माने तो सरकार मौजूदा ढील के साथ कोविड कर्फ्यू को एक सप्ताह और बढ़ा सकती है।

आंकड़ों की समीक्षा के बाद होगा फैसला
उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल इस पर मंथन कर रहे हैं कि कर्फ्यू में ढील दी जाए या छूट को पाबंदियों के साथ कुछ और आगे बढ़ाया जाए। हालांकि सरकार पर कर्फ्यू खत्म करने का दबाव भी है। व्यापारियों के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष खड़े दिखाई दे रहे हैं तो महाराज भी अपने मन की बात मुख्यमंत्री तीरथ को बता चुके हैं। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी सरकार को चिट्ठी लिख चुके है। इतनी कवायद के बाद ही कर्फ्यू में अच्छी खासी ढील दी गई थी। वहीं सुबोध उनियाल का कहना है कि संक्रमण के अनुसार आंकड़ों की समीक्षा करने के बाद ही कर्फ्यू के संबंध में कोई निर्णय लिया जाएगा।

22 जून तक बढ़ाया जा सकता है कर्फ्यू
बहरहाल, प्रदेश में लागू कोविड कर्फ्यू की अवधि 15 जून को सुबह छह बजे खत्म हो रही है। इसे देखते हुए सभी की नजरें सरकार पर टिक गई हैं कि वह कर्फ्यू हटाएगी या फिर इसे कुछ दिन और बरकरार रखेगी। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में शासन स्तर पर भी मंथन चल रहा है। ये बात भी सामने आ रही कि यदि कर्फ्यू हटाया गया या फिर ज्यादा ढील दी गई तो कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए अब तक की मेहनत पर पानी फिरते देर नहीं लगेगी। इसे देखते हुए फूंक-फूंक कर आगे कदम बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल 22 जून तक कोविड कफ्र्यू को आगे बढ़ाया जा सकता है। इस दौरान सप्ताह में तीन दिन बाजार खोलने समेत वर्तमान में जारी व्यवस्था को यथावत रखा जा सकता है।

सरकार से इतर फैसला लेने को आजाद हैं जिलाधकारी
इसके साथ ही राज्य के जिन जिलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है, उस क्षेत्र विशेष को कर्फ्यू से छूट देने के संबंध में जिलाधिकारी निर्णय ले सकते हैं। सरकार जिलाधिकारियों को पहले ही इसके लिए अधिकृत कर चुकी है। इस मामले में सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार आंकड़ों की समीक्षा करने के बाद ही कर्फ्यू के संबंध में कोई निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल तो जिलाधिकारियों पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। क्योंकि सरकार ने उन्हें अपने विवेकानुसार फैसला लेने का अधिकार दे दिया है। ऐसे में इस बात से ज्यादा फर्क नही पड़ेगा कि सरकार क्या फैसला लेती है। अगर नैनीताल में केस न के बराबर हैं तो जिलाधिकारी नैनीताल सरकार के लिए फैसले से इतर फैसला नैनीताल के लिए ले सकते है।

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