हल्द्वानी, डीडीसी। कभी सोचा है आपने कि आपका बचा हुआ बासी खाना भी आपके काम आ सकता है और काम भी ऐसा कि आपके पैसे बच जाएं। अगर आपने अभी तक इस बारे में नही सोचा है तो इस खबर को पढ़ने के बाद आप सोचने पर मजबुर हो जाएंगे। सोचेंगे कि बचे हुए बासी खाने को कूड़ेदान में डालें या फिर ‘चग’ में। अब आप सोंच रहे होंगे कि अब ये चग क्या बला है। तो साहब ये बला नही बल्कि कमाल की चीज है और अब ये देश के अन्य राज्यों के अलावा उत्तराखंड में भी उपलब्ध है।
तो चग एक मशीन है, जो फूड वेस्ट को ठिकाने लगाती है। इस मशीन का उपयोग करके आप बचे हुए खाने से गैस बना सकते है और इस गैस से आपका चूल्हा जल सकता है। उत्तराखंड में इस मशीन की जड़े जमाने में लगे सारा इकोलॉजी के ऑनर राहुल सोनकर बताते हैं कि चग मशीन का इस्तेमाल खासतौर पर होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट, अपार्टमेंट, कॉम्प्लेक्स और इंस्टीट्यूशन के लिए किया जा सकता है। वहां जहां बड़ी मात्रा में फूड वेस्ट निकलता है। चग में अगर आप 35 किलो फूड वेस्ट डालते हैं तो इतनी ही मात्रा में आपको पानी डालना होगा। इतने फूड वेस्ट से ये मशीन आपको एक किलो गैस बना कर दे देगी। तो हुआ न आम के आम और गुठलियों के दाम, लेकिन धैर्य रखिये क्योंकि आम और आम की गुठली नही बल्कि आम के छिलके भी आपको दाम देंगे।
गैस के साथ ऑर्गेनिक खाद भी बनाएगा चग
चग बड़े काम की चीज है और अगर हमने कहा कि आम तो आम गुठली के साथ आम के छिलकों से भी दाम मिलेगा तो यकीनन हमने कुछ गलत नही कहा। दरअसल, मशीन में फूड वेस्ट के साथ उतनी ही मात्रा में पानी मिलाया जाता है, जितना फूड वेस्ट होता है। इन दोनों को मिलाकर मशीन में डाला जाता है। मशीन इस मिश्रण से गैस बनाती है और फिर गैस को एक बलून (गुब्बारे) में भर देती है। जिसके बाद गैस को आप अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल कर सकते है। अब आपको बता दें कि गैस बनने के बाद मशीन से भी लिक्विड वेस्ट निकलता है, लेकिन यह वेस्ट नही होता। दरअसल, इस वेस्ट को सुखाने के बाद ये ऑर्गेनिक खाद बन जाती है। यानी अगर आपने मशीन में 35 किलो फूड वेस्ट के साथ 35 लीटर पानी मिलाया है तो आपको इसके बदले में 70 किलो ऑर्गेनिक खाद मिलेगी।
NGT के झंझट से बचा सकती है चग
देश में बहुत बड़ी मात्रा में फूड वेस्ट निकलता है और ये फूड वेस्ट या कूड़ेदान में जाता है या फिर नदियों में। इसका निस्तारण अमूमन जिस तरह से किया जाता है, उससे प्रदूषण होता है। इसी प्रदूषण से खफा NGT ने तमाम बड़े सरकारी और गैर सरकारी रिसॉर्ट्स, होटल को नोटिस जारी किया है। जिसमें साफ-साफ कहा गया कि फूड वेस्ट को खुले में न फेंका जाए। इसके लिए रिसोर्ट और होटल को फूड वेस्ट निस्तारण के सुझाव भी दिए थे। साथ ही नोटिस में यह भी कहा गया था कि आदेश का पालन न करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। तो कुल मिलाकर अब चग आपको एनजीटी के झंझट से भी बचा सकती है।
पर्यावरण में बसती है इनकी जान
युवा राहुल सोनकर न सिर्फ पढ़े-लिखें है बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई उनकी सोंच में भी झलकती है। कारोबार की दुनिया में एक मुकाम बनाने की हसरत रखने वाले राहुल अगर चाहते तो कोई भी बिजनेस कर मोटा मुनाफा कमा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा न कभी किया और न सोंचा। उनकी सोंच थी कि जो भी करें, उससे पर्यावरण सुरक्षित रहे। उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट से टाइल्स बनाई। कंपनियों और फैक्ट्री के केमिकल युक्त पानी को पुनः उपगोग के लायक बनाया। ऐसे तमाम काम उनकी सूची में शुमार हैं और अब वह चग के जरिये पर्यावरण को सहेजने की मुहिम में लगे हैं।

