– तहसील में अवैध पार्किंग चलाकर कर लिए गए करोड़ों के वारे-न्यारे

हल्द्वानी, डीडीसी। दलालों की हल्द्वानी तहसील में करोड़ों के घपले की खबर बाहर आई है और करोड़ों की घपले की कील अफसरों ने मिलकर ठोंकी है। करोड़ों के वारे-न्यारे करने वाले अफसरों से अब सफाई देते नहीं बन रही है। तहसील में साइकिल स्टैंड के नाम पर इस करोड़ों के घपले को अंजाम दिया गया और भांडा तब फूटा जब एक दिन अचानक कुमाऊं कमिश्नर तहसील पहुंच गए।

अधिकारी, कर्मचारियों को छोड़ कर सबसे लिया
तहसील में दो साल पहले अचानक पार्किंग की व्यवस्था ठेकेदार के हाथों में दे दी गई। यहां अधिकारी और कर्मचारियों के अलावा अन्य से वाहन पार्किंग के एवज में शुल्क वसूला जाने लगा। लोगों ने सोचा कि बाजार क्षेत्र में तहसील होने की वजह से बेवजह के वाहनों की भीड़ को रोकने के लिए यहां पार्किंग को ठेकेदार के हाथों में सौंपा गया है।

सब ठीक था, फिर कमिश्नर पहुंच गए तहसील
ठेकेदार के गुर्गे छोटे वाहनों से 10 रुपए और चार पहिया वाहनों से 40 रुपए वसूलने लगे और बदले में रसीद भी थमाई जाने लगी। अनुमान है कि तहसील में पार्किंग ठेकेदार के एवज में ठेकेदार को रोजाना हजारों की कमाई होती थी। सबकुछ ठीक ही चल रहा था, लेकिन बीते शुक्रवार को यहां कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत तहसील पहुंच गए।

कमिश्नर पहुंचे, गुर्गे गायब, तब हुआ लोगों को शक
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के निरीक्षण के दौरान मौके पर न तो ठेकेदार था और न ही उसके साथी। उस दिन तहसील में लोग बिना शुल्क दिए ही वाहनों की पार्किंग कर रहे थे। जब लोगों को दाल में काला लगा तो इसकी सूचना मौके पर मौजूद कुमाऊं कमिश्नर को दी। उन्होंने तत्काल मामले को संज्ञान लिया और तहसीलदार से इसके बाबत पूछताछ कर डाली।

करोड़ों के बंदरबांट का खेल है अवैध पार्किंग
कुमाऊं कमिश्नर के सवालों का जवाब जब संबधित अधिकारियों को देते नहीं बना तो उन्होंने यहां पार्किंग ठेके की निविदा निकालने के आदेश जारी कर दिए। साथ ही हल्द्वानी तहसील में दो साल पार्किंग शुल्क के नाम पर किए जा रहे अवैध वसूली का खुलासा हो गया। अनुमान है कि अभी तक ठेकेदार ने यहां से अवैध तौर पर करोड़ों की वसूली कर बंदरबांट किया है।

सरकारी भूमि पर घपला और सरकार की झोली खाली
सरकारी भूमि पर अवैध पार्किंग के नाम पर की गई करोड़ों की वसूली के बदले में सरकारी महकमे को कुछ भी नहीं मिला है। तहसील में इतने सालों तक अवैध पार्किंग के नाम वसूली होती रही। पूरा मामला एक बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है। जिसकी जांच की जानी जरूरी है। यह मामला हल्द्वानी तहसील के ऊपर काला धब्बा भी है। जिसकी लीपापोती आसान नहीं है।

तहसीलदार की भूमिका पर भी संदेह, जांच जरूरी
तहसीलदार संजय कुमार ने बताया कि तहसील में उन्होंने अपनी आंखों से किसी को पार्किंग के एवज में शुल्क वसूली करते हुए नहीं देखा है। उन्होंने बताया कि वह यहां पार्किंग के ठेके के लिए निविदा जारी करवाएंगे। चलिए हम मान लेते हैं कि तहसीलदार ने अपनी आंखों से नहीं देखा होगा, लेकिन क्या किसी से सुना भी नहीं? फिलहाल संदेह में तहसीलदार की भूमिका भी है, जिसकी जांच की जानी चाहिए।

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