
– महाराष्ट्र में राणा दंपति की घोषणा के बाद देश मे हनुमान चालीसा की चर्चा
डीडीसी, धर्म। इन दिनों पूरे देश में हनुमान चालीसा की चर्चा है। महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर लगाकर जगह-जगह हनुमान चालीसा पाठ की खबरें आ रही हैं। राणा दंपति ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर “मातोश्री” के सामने इसके पाठ की घोषणा की, उसके बाद उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया गया। वैसे आपको बता दें कि दुनियाभर में रोज अगर किसी पुस्तिका का सबसे ज्यादा पाठ होता है तो वो हनुमान चालीसा ही है। इस चालीसा की गाथा भी खासी रोचक और ऐतिहासिक है। ये अवधी में लिखी गई, बाद में कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ।
चालीसा का मतलब 40 चौपाई
दरअसल ये हनुमान जी को लेकर भक्तिभाव से पाठ करने वाली पुस्तिका है। चालीसा का मतलब 40 चौपाइयों वाली। लिहाजा हनुमान चालीसा भी इस अनुशासन से बंधी है, जिसमें इतनी ही चौपाई हैं। साथ ही 40 छंद हैं। माना जाता है कि लाखों हिंदू रोज दुनियाभर में इसका पाठ करते हैं। ये हनुमानजी की क्षमता, राम के प्रति उनका भक्तिभाव और कामों का बखान है। ये भी मानते हैं कि हनुमान चालीसा के पाठ से जीवन की हर समस्या और संकट दूर हो जाता है।
शिव का अवतार थे हनुमान
तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखा। उसके अलावा हनुमान चालीसा की रचना की। हालांकि ये रचना किन स्थितियों में कैसे हुई, इसकी कहानी दिलचस्प है। हनुमान जी खुद को भगवान राम का सबसे बड़ा भक्त कहते थे। समय-समय पर उन्होंने इसे साबित भी किया। वैसे हमारे पुराणों और शैव परंपरा में कहा जाता है कि हनुमानजी खुद भगवान शिव का अवतार थे।
यहां से मिली हनुमान चालीसा लिखने को प्रेरणा
कहा जाता है कि तुलसीदास को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली। किंवदंती है कि एक बार मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया। तब तुलसीदास की मुलाकात अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना और टोडर मल से हुई। उन्होंने काफी देर तक उनसे बातचीत की। वह अकबर की तारीफ में कुछ ग्रंथ लिखवाना चाहते थे। तुलसीदास जी ने मना कर दिया। तब अकबर ने उन्हें कैद कर लिया।
अकबर ने कैद किया तुलसीदास को
किंवदंती कहती है कि तुलसीदास की रिहाई भी फिर अजीब तरीके से हुई। ये किंवदंती फतेहपुर सीकरी में भी प्रचलित है। बनारस के पंडित भी इससे मिलती-जुलती एक और कहानी सुनाते हैं। बकौल इसके, एक बार बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को दरबार में बुलाया। उनसे कहा कि मुझे भगवान श्रीराम से मिलवाओ। तब तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान श्री राम सिर्फ भक्तों को ही दर्शन देते हैं। यह सुनते ही अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार डलवा दिया।
कैद में थे तुलसीदास, बंदरों ने रिहा कराया
किंवदंती के अनुसार, कारावास में ही तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी। उसी दौरान फतेहपुर सीकरी के कारागार के आसपास ढे़र सारे बंदर आ गए। उन्होंने बड़ा नुकसान किया। तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त कर दिया।
एनक्लोपीडिया तुलसीदास को मानती है रचयिता
भारत की सबसे प्रमाणिक हिन्दी आनलाइन एनक्लोपीडिया भारत कोष तुलसीदास को हनुमान चालीसा का लेखक मानती है। हनुमान चालीसा की 39वीं चौपाई में तुलसीदास ने अपने नाम का उल्लेख भी किया है। हालांकि हिंदी के कुछ अन्य विद्वानों का कहना है कि हनुमान चालीसा किसी और तुलसीदास की कृति है।
तुलसीदास ने पढ़ी, हनुमान ने सुनी
कहा जाता है कि जब पहली बार तुलसीदास ने इसका वाचन किया तो हनुमान जी ने खुद इसे सुना। हनुमान चालीसा को सबसे पहले खुद भगवान हनुमान ने सुना। प्रसिद्ध कथा के अनुसार जब तुलसीदास ने रामचरितमानस बोलना समाप्त किया तब तक सभी व्यक्ति वहां से जा चुके थे लेकिन एक बूढ़ा आदमी वहीं बैठा रहा। वो आदमी और कोई नहीं बल्कि खुद भगवान हनुमान थे।
मां सीता को गुरु मानते थे हनुमान
हनुमान चालीसा की शुरुआत दो दोहे से होती जिनका पहला शब्द है ‘श्रीगुरु’, इसमें श्री का संदर्भ सीता माता है जिन्हें हनुमान जी अपना गुरु मानते थे।
आखिर में अपना जिक्र किया तुलसीदास ने
हनुमान चालीसा के पहले 10 चौपाई उनके शक्ति और ज्ञान का बखान करते हैं। 11 से 20 तक के चौपाई में उनके भगवान राम के बारे में कहा गया, जिसमें 11 से 15 तक चौपाई भगवान राम के भाई लक्ष्मण पर आधारित है। आखिर की चौपाई में तुलसीदास ने हनुमान जी की कृपा के बारे में कहा है।
सभी भारतीय भाषाओं में हुआ अनुवाद
अंग्रेजी के अलावा भारत की सभी भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। ये गीता प्रेस द्वारा सबसे ज्यादा छापी और बेची जाने वाली पुस्तिका है।
हरिहरन की गायी चालीसा सबसे ज्यादा सुनी और देखी गई
यूट्यूब पर हरिहरन द्वारा गायी गई हनुमान चालीसा को जितने लोग देख और सुन चुके हैं, वो भी एक रिकार्ड ही है। उत्तर भारत के मंदिरों में गाया जाने वाला ये सबसे लोकप्रिय भजन है। हर भजन गायक ने अपनी आवाज में हनुमान चालीसा को गाया है।