– महाकुंभ हरिद्वार में लोगों के आकर्षण का केंद्र बने नागा साधु

हरिद्वार, डीडीसी। नागा साधु हमेशा से समाज को रोमांचित करते आए हैं। 21वीं सदी में इनका रहन-सहन इस रोमांच के लिए लोगों को मजबूर करता है। शिव की साधना, निर्वस्त्र जीवन और प्रभु की अभिलाषा के सिवा इन्हें कुछ नही चाहिए। आज हम आपको एक ऐसे ही नागा साधु से मिलाने जा रहे हैं, जो संभवतः कद और वजन में दुनिया के सबसे छोटे नागा साधु हैं। इनकी उम्र तो 56 हो चुकी है, लेकिन कद महज 18 इंच है और वजन भी सिर्फ 18 किलो।

नाम है नारायण नंद स्वामी
इनका नाम नारायण नंद स्वामी। नारायण नंद जूना अखाड़े के नागा सन्यासी हैं। शायद बढ़ती उम्र की वजह से बाबा नारायण नंद ठीक से सुन भी नहीं पाते हैं और उन्हें इससे फर्क भी नही पड़ता। वो तो बस शिव की साधना में लीन रहते हैं।

बिरला पुल किनारे लगाया है डेरा
हरिद्वार के श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के पास बिरला घाट पुल के किनारे नारायण नंद ने अपना डेरा जमाया हुआ है। जो कोई भी इस राह से गुजरता है, वह नारायण नंद गिरी महाराज के दर्शन करने के लिए जरूर रुकता है। 55 वर्षीय नारायण नंद गिरी बताते हैं कि वह मध्य प्रदेश के झांसी के रहने वाले हैं। 2010 के हरिद्वार महाकुंभ में वे जूना अखाड़े में शामिल हुए और नागा सन्यासी की दीक्षा भी ली। उससे पहले उनका नाम सत्यनारायण पाठक था, लेकिन सन्यास की दीक्षा लेने के बाद इनका नाम नारायण नंद गिरी महाराज हो गया।

कुछ नही बचा तो सन्यास ले लिया
नारायण नंद गिरी का जीवन कठिनाइयों से भरा था। जब तक उनके माता-पिता जीवित थे, तब तक वह किसी पर आश्रित नहीं थे। माता-पिता के होते हुए वे घर से बाहर तक नहीं निकले। उनके खाने-पीने, उठाने-बैठाने से लेकर सभी काम उनके माता-पिता ही करते थे, लेकिन मां-बाप के गुजर जाने के बाद उनकी परेशानी बढ़ गई। फिर उन्होंने संन्यास की तरफ कदम बढ़ाया और जूना अखाड़े के संन्यासी बन गए।

माता-पिता के बाद अब शिष्य है साथ
बाबा नारायण नंद के साथ हमेशा उनका एक शिष्य उमेश रहता है। एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने से लेकर उठाने-बैठाने तक सभी काम शिष्य उमेश कुमार ही करता हैं। उमेश कुमार का कहना है कि नारायण नंद गिरी महाराज 2010 के कुंभ में भी हरिद्वार आए थे। इससे पहले वह प्रयागराज के कुम्भ में भी भाग ले चुके हैं। जहां कहीं भी वो जाते हैं, लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। नारायण नंद गिरी महाराज हर समय ईश्वर की भक्ति में लीन लेते हैं।

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