– यात्रा पर रवाना होने से पहले कोविड निगेटिव रिपोर्ट जरूरी

नैनीताल, डीडीसी। उत्तराखंड में लॉकडाउन के बाद अब सब खुल चुका है, लेकिन चारधाम यात्रा पर लगी रोक बरकरार थी। यात्रा खोले जाने को लेकर राज्य सरकार पर खासा दबाव था। हाईकोर्ट यात्रा खोलने की इजाजत देने से इनकार कर चुका था और सरकार सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर खड़ी थी। इन सबके बीच आज हाईकोर्ट ने यात्रा पर लगी रोक हटा दी, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। आइए जानते हैं कि यात्रा पर जाने से पहले आपको क्या करना होगा।

कोविड गाइडलाइन फॉलो करने होंगे
चारधाम यात्रा शुरू करने के लिए 10 सितंबर को सरकार ने कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई किए जाने के लिए आवेदन दिया था, जिस पर कोर्ट ने 16 सितंबर का दिन मुकर्रर किया था। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यात्रा को कोरोना संक्रमण के लिहाज़ से गाइडलाइन फॉलो किए जाने संबंधी सशर्त मंज़ूरी दे दी।

ढाई महीने से जारी था गतिरोध
करीब ढाई महीने के गतिरोध के बाद चार धाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी गई। अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में हाई कोर्ट ने कुछ प्रतिबंधों के साथ यह रोक हटा दी। 28 जून को हाई कोर्ट ने कोविड-19 संबंधी पर्याप्त इंतज़ाम न होने के कारण उत्तराखंड की इस महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा पर रोक लगाई थी। इसे हटाने के लिए राज्य सरकार लगातार कोशिशें कर रही थी और राज्य में सियासत भी गरमा गई थी। पिछले दिनों सरकार के सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापिस लेने के बाद उत्तराखंड हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हो सकी और आज गुरुवार को हाई कोर्ट ने यात्रा के लिए रास्ता साफ कर दिया।

केदारनाथ में केवल 800 भक्तों को इजाजत
हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक बद्रीनाथ धाम में 1200, केदारनाथ धाम में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में 400 यात्रियों के लिए इजाज़त दी गई है। साथ ही यात्री के लिए कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन के दोनों डोज़ का सर्टिफिकेट भी अनिवार्य किया गया है। हाईकोर्ट ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में ज़रूरत के मुताबिक पुलिस फोर्स लगाने को कहा और निर्देश हैं कि भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।

विपक्ष कर रहा था यात्रा पर सरकार की घेरेबंदी
चारधाम यात्रा को लेकर विपक्ष सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश में था, लेकिन अब सरकार को राहत भरी खबर मिल चुकी है। दरअसल, सरकार ने यात्रा खोलने की तैयारी कर ली थी, लेकिन इसी वर्ष जून में जब हाई कोर्ट ने सरकार के निर्णय को पलटते हुए यात्रा पर रोक लगा दी। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई, लेकिन बात सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं बनीं। हालांकि सरकार ने दलील दी थी कि जीवन पटरी पर लौट रहा है इसलिए यात्रा को मंज़ूरी दी जानी चाहिए और सरकार ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने कहा था कि जब तक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है, वह इस मामले में दखल नहीं देगा। इस पर पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस ले ली थी।

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