
– गुलदार की खाल बेचने के लिए एक अस्पताल में भर्ती हुआ था हत्यारा
Leonard Skin Recovered, DDC : हल्द्वानी में दो तेंदुओं की हत्या करने के बाद उनकी खाल के साथ साईं हॉस्पिटल में दुबका हत्यारा एसओजी के हत्थे चढ़ गया। हत्यारा पुलिस से बचने और खाल की डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल में बीमारी का बहाना बना कर भर्ती हुआ था। बागेश्वर के रहने वाले इस हत्यारोपी ने जंगल में फंदा लगाकर दोनों तेंदुए मारे थे। एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने एसओजी टीम को ढाई हजार इनाम की घोषणा की है।
पुलिस बहुउद्देशीय भवन में मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि कपकोट बागेश्वर निवासी नवीन चंद्र पुत्र नन्दा बल्लभ ने कपकोट के जंगल में फंदा लगाकर दो तेंदुए की हत्या की। जिसके बाद उसने दोनों तेंदुए की खाल उतारी और एक खरीदार से संपर्क किया। दोनों में सौदा तय हो गया और डिलीवरी के लिए हल्द्वानी को चुना गया।
नवीन तेंदुए की खाल के साथ बीती 13 सितंबर को हल्द्वानी पहुंच गया और पुलिस की नजर से बचने के लिए मुखानी स्थित साई हॉस्पिटल में भर्ती हो गया। नवीन इसी अस्पताल में खाल की डिलीवरी देने वाला था, जो उसने बैग में छिपा कर रखी थी। डिलीवरी हो पाती, इससे पहले ही भनक एसओजी को लग गई। आनन-फानन में टीम ने उसे अस्पताल से धर दबोचा और मौके से तेंदुए की दो खाल भी बरामद कर ली।
जिसके बाद मौके पर वन विभाग के अधिकारियों को भी बुलाया गया। खाल की कीमत 15 लाख बताई जा रही है। टीम में एसओजी प्रभारी राजवीर नेगी, लामाचौड़ चौकी प्रभारी सुनील गोस्वामी, हे.कां.त्रिलोक रौलेता, कुंदन कठायत, अमीर अहमद, का.दिनेश नगरकोटी, अशोक रावत, अनिल गिरी, आलोक कुमार, उपवन क्षेत्राधिकारी सुरक्षा दल एसओजी कैलाश चंद्र तिवारी, वन दरोगा हरीश चंद्र सिंह नयाल और राहुल कनवाल थे।
डेढ़ माह से खरीदार की तलाश में था आरोपी
बताया जा रहा है कि नवीन ने डेढ़ माह पहले ही तेंदुए को मार डाला था। हालांकि इस बात पर संशय है कि उसने फंदा लगाकर तेंदुए मारे या फिर जहर देकर। संभावना यह भी है कि दोनों में से एक मारने के लिए कोई तरीका भी अपनाया गया हो। क्योंकि गुलदार की एक खाल पर कट का निशान भी है। हो ये भी सकता है कि खाल उतारते वक्त यह कट लग गया हो। फिलहाल नवीन डेढ़ माह से खाल ठिकाने लगाने की योजना बना रहा था।
नेपाल खुला बाजार, चीन सबसे बड़ी खरीदार
बाघ, तेंदुए और अन्य जानवरों की खाल बेचने और खरीदने का नेपाल खुला बाजार है। उत्तराखंड में भी मारे जाने वाले जानवरों की खाल भी नेपाल में बेची जाती है। यहां खुले बाजार में खाल खरीदी जा सकती है। जबकि खाल और हड्डी का सबसे बड़ा खरीदार चीन है। यहां से सबसे फ्रेस्टिवल में लोग अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक जानवरों की खाल पहनते हैं। यानी ज्यादा पैसे वाला ही टाइगर की खाल खरीद कर फ्रेस्टिवल में जाता है।