– विवादों में रहने वाले वन निगम का एक और कारनामा
सर्वेश तिवारी, डीडीसी। कारनामों का खजाना वन निगम एक बार फिर अपनी कारगुजारियों को लेकर चर्चा में है। ये चर्चा एके अफसर के प्रमोशन से जुड़ी है। यूं तो काम करते-करते अधिकांश की एड़ियां जिस जाती हैं, लेकिन प्रमोशन नही मिलता और इसी वन निगम में कुछ चहेतों को प्रमोशन की चाशनी में डुबो-डुबो कर रसगुल्ला बना दिया जाता है। खैर, कहते हैं ना कि ज्यादा मीठे में कीड़े पड़ जाते हैं, तो यहां भी पड़ गए और भांडा फूट गया। अब प्रमोशन तो छोड़ो, साहब से प्रमोशन वाली तनख्वाह तक वसूल ली जाएगी।
नियोजन एवं सांख्यिकी अधिकारी है आरोपी
हम जिस अफसर की बात कर रहे हैं उसका नाम है त्रिलोक सिंह और त्रिलोक वन निगम में नियोजन एवं सांख्यिकी अधिकारी हैं। त्रिलोक को ही साथ माह के भीतर 3 प्रमोशन संग एसीपी दिए गए और इसके लिए सारे नियमों को जिंदा फूंक दिया गया। आज से करीब 4 साल पहले तक त्रिलोक विभाग के कोर्ट संबंधी काम निपटाता था, लेकिन अब वो एक अफसर है और एक कुर्सी भी। अब वो कोर्ट के काम नही निपटाता बल्कि दूसरे साहब की तरह आदेश करता है।
निगम के पूर्व एमडी का चहेता था त्रिलोक
प्रमोशन के खेल का ये सिलसिला वर्ष 2017-18 के दरम्यान का है। त्रिलोक को प्रमोशन इसकुए मिला क्योंकि वो एक पूर्व एमडी का चहेता था और इसी के चलते उसे सात माह में तीन प्रमोशन दे दिए गए। लगातार प्रमोशन की वजह से मामला विभागीय चर्चा में आया, शिकायत हुई और जांच शुरू हो गई। इस मामले की कई स्तर पर जांच हुई। इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अब करीब 4 साल बाद आरोपी के खिलाफ विभाग ने कार्यवाही का मन बनाया है। जांच अपर प्रबंध निदेशक केएम राव को सौंपी गई थी। उन्होंने इसकी विस्तृत जांच की और अब एमडी को रिपोर्ट भेज दी है।
ऐसे जलाई गई नियमों की चिता
आरोपी अधिकारी को पहला प्रमोशन तो सही मिला, लेकिन उसके बाद के प्रमोशन और एसीपी के जो भी लाभ मिले वो नियम विरुद्ध हैं। इसके लिए ना तो शासन की विशेष अनुमति ली गई और ना ही ऐसी किसी पदोन्नति का कोई शासनादेश था। ये भी कहा गया है कि पदोन्नति में विभागीय सेवा नियमावली के अनुसार ढांचा प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया। ऐसे में उनके प्रमोशन और एसीपी के लाभों को रिवर्ट किया जाए। यानी उनकी पदोन्नतियां वापस लेने और रिकवरी की जाए।
आरोपी से होगी 90 लाख की वसूली
इस मामले में अपर प्रबंध निदेशक केएम राव का कहना है कि जांच में पहली पदोन्नति तो सही पायी गई, लेकिन इसके बाद की पदोन्नतियां या एसीपी का जो भी लाभ दिया गया वो नियमानुसार नहीं था। इस मामले जांच रिपोर्ट एमडी को सौंप दी है। रिपोर्ट में पदोन्नति व एसीपी पर पुनर्विचार की सिफारिश की गई है। अब एमडी स्तर से इस पर कार्रवाई होनी है। खैर, इस मामले में सूत्र बताते हैं कि त्रिलोक से न सिर्फ उसका प्रमोशन छीना जाएगा, बल्कि उन रुपयों की वसूली भी की जाएगी जो उसने पदोन्नति के साथ वेतनवृद्धि के रूप में विभाग से लिए थे।