
– तब बंदूक कराती थी हार-जीत, आज हाथ-पैर जोड़ का जीते
सर्वेश तिवारी, डीडीसी। एक दौर था जब धरती पर घोड़ों की टाप पड़ते ही कलेजा मुंह को आ जाता था और वोट वहीं पड़ता था जहां इन घुड़सवार डकैतों की बंदूक इशारा करती थी। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की सीमा का बियाबान बीहड़ जाने कितनी खौफ की कहानियों से आज भी सहम जाता है, लेकिन अब न तो घोड़ों की टाप है और ही गोलियों की आवाज। चुनाव बे बंदूक हार-जीत का फैसला नही करती। बल्कि जीतने के लिए जनता की जी-हुजूरी करनी पड़ती है। इसी जी-हुजूरी की बदौलत उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में कुख्यात डकैत राधे का बेटा ग्राम प्रधान बन गया। शांति को सर्वोपरि मान चुके एक और कुख्यात डकैत ठोंकिया का भाई भी ग्राम प्रधान बन गया।
4 दशक तक था पाठा में डकैतों का साम्राज्य
यूपी और एमपी के पाठा क्षेत्र में करीब चार दशक तक डकैत गिरोहों का साम्राज्य रहा। हर चुनाव में डकैत गिरोह ने हनक दिखाकर चहेतों को जिताने का काम करते रहे। इनके फरमान पर ही पाठा की पंचायतों में प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान होता रहा। पहली बार इन डकैतों के परिजनों ने वोट मांगकर चुनाव जीता। डकैत ददुआ के सबसे खास रहे जेल में बंद राधे का बेटा अरिमर्दन सिंह उर्फ सोनू व मारे जा चुके डकैत ठोकिया उर्फ अम्बिका पटेल के भाई दीपक पटेल ने प्रधान पद पर कामयाबी हासिल की है।
2005 में विजयी हुए डकैतों के करीबी और परिवारी
वर्ष 2005 में जब पंचायत चुनाव हुए तो डकैत ददुआ और ठोकिया ने अपने परिजनों और करीबियों को निर्विराेध प्रधान, बीडीसी व डीडीसी आदि बनवाया था। अब ये दोनों डकैत मारे जा चुके हैं। डकैत अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया के भाई दीपक पटेल ने कर्वी विकासखंड की बंदरी ग्राम पंचायत से प्रधान पद पर जीत हासिल की है। उसने 535 वोट हासिल किए हैं। उसने सुधीर गर्ग को 339 मतों से हराया है। उसे केवल 196 वोट मिले।
22 वोट से जीता राधे का बेटा
इसी तरह शीतलपुर तरौंहा ग्राम पंचायत से डकैत राधे का बेटा अरिमर्दन सिंह उर्फ सोनू को प्रधान पद पर जीत मिली है। उसने 192 मत हासिल कर अरविंद सिंह को 22 वोट से हराया है। पहली बार पंचायत चुनाव में ऐसा हुआ जब डकैतों के परिजन वोट मांगकर चुनाव जीते हैं। इसके पहले डकैतों के फरमान चला करते थे।