– करीब 2 साल बाद परिवार से मिला दुर्दांत अपराधी और पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन

नई दिल्ली, डीडीसी। वो जिसका नाम लेना भी उसकी शान में गुस्ताखी समझा जाता था, जिसे लोग सिर्फ साहब कह कर पुकारते थे, वो बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन जो तेजाब से लोगों को जिंदा जला कर मार डालता था। वही दरिंदा अपनी मां का आँचल मिलते ही बिलख पड़ा। आइए जानते है चंद शब्दों में इस दरिंदे की पूरी कहानी। हालांकि इस कातिल के गुनाहों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि चंद अल्फाज़ो में खत्म नही की जा सकती।

तेजाब से जला कर मार डाले थे सगे भाई
मो. शहाबुद्दीन उम्रकैद की सजा भोग रहा है। ये सजा 2004 में हुए दोहरे कत्ल के मामले में मिली है। अगस्त 2004 में शहाबुद्दीन और उसके लोगों ने रंगदारी न देने पर सीवान के प्रतापपुर गांव में व्यापारी चंदा बाबू के तीन बेटों का अपहरण कर लिया था। दो बेटे सतीश और गिरीश को उसने तेजाब से जिंदा जला कर मार डाला था। जबकि तीसरा भाग निकला था। हालांकि बाद में उसे भी बीच सड़क गोली मार दी गई थी। बीती 16 दिसम्बर में चंदा बाबू की हार्ट अटैक में मौत हुई, लेकिन उससे पहले उन्होंने शहाबुद्दीन को उसकी असली जगह जेल पहुंचा दिया था। इस मामले में शहाबुद्दीन समेत चार लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

18 घंटे की हुई परिवार से मुलाकात
शहाबुद्दीन राष्‍ट्रीय जनता दल नेता के टिकट पर बिहार के सिवान से सांसद बना। दिल्‍ली हाईकोर्ट की अनुमति पर वो तीन साल बाद मां, पत्‍नी और बेटे-बेटियों से मिला। 18 घण्टे की ये मुलाकात सोमवार, बुधवार और शनिवार को 6-6 घण्टों के तीन भाग में हुई। शहाबुद्दीन ने अपने एक करीबी के नई दिल्ली के गीता कॉलोनी स्थित ताज इन्क्लेव के एक फ्लैट में पत्नी हेना शहाब, बेटा मो. ओसामा, दोनों बेटियों और मां से मुलाकात की और खूब रोया।

बिहार और दिल्ली सरकार ने कर दिया था इंकार
शहाबुद्दीन ने परिवार से मिलने के लिए पैरोल मांगा था, लेकिन बिहार व दिल्ली की सरकारों ने पैरोल पीरियड में उसे सुरक्षा देने से मना कर दिया था। बिहार सरकार ने कहा कि शहाबुद्दीन सिवान आया तो कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसके बाद दिल्‍ली हाईकोर्ट ने उन्‍हें दिल्ली में किसी भी स्थान पर परिवार से मिलने की अनुमति दी। उसे 1 महीने तीन बार 6-6 घंटे परिवार से मुलाकात की इजाजत मिली थी।

बाप के जनाजे में भी शामिल नही हो पाया जालिम
19 सितंबर को शहाबुद्दीन के बाप की मौत हुई, लेकिन वो बाप के जनाजे में शामिल नही हो सका। हालांकि उसे पैरोल मांगी थी, लेकिन इस अवधि के दौरान दिल्ली और बिहार सरकार ने सुरक्षा देने से इनकार कर दिया और कोर्ट ने पैरोल देने से। अब शहाबुद्दीन अपनी बेटी के निकाह में शामिल होने के लिए पैरोल की अर्जी देगा।

ऐसे बना एक टुच्चे गुंडे से नेता
शहाबुद्दीन कम्युनिस्ट और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ खूनी मार-पीट के चलते चर्चा में आया।
15 साल पहले सिवान में बीजेपी के ओमप्रकाश यादव को शहाबुद्दीन ने सिवान में सरेआम दौड़ा-दौड़ाकर पीटा
1986 में हुसैनगंज थाने में इस पर पहली एफआईआर दर्ज हुई थी। आज उसी थाने में ये A-लिस्ट हिस्ट्रीशीटर है।
शहाबुद्दीन अस्सी के दशक में मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे लालू प्रसाद यादव के संपर्क में आया।
लालू का हाथ सिर पर आते ही अपहरण और रंगदारी का धंधा चल पड़ा।
इतना खौफ बनाया कि हर दुकान में शहाबुद्दीन की फोटो टँगने लगी।
रंगदारी न देनी पड़े तो लोगों ने नई गाड़ियां खरीदनी बन्द कर दी।
मात्र 23 की उम्र में गुंडा शहाबुद्दीन 1990 में विधायक बन गया।
ये अपराधी दो बार विधायक और चार बार सांसद बना।
1996 में एक केस खुल गया, वरना इसका केंद्रीय राज्य मंत्री बनना तय था।
1997 में JNU से एक छात्र नेता चंद्रशेखर को जान से मार दिया।
1999 में कम्युनिस्ट पार्टी के एक कार्यकर्ता का किडनैप हुआ, जिसका फिर कभी कुछ पता ही नहीं चला।
मार्च 2001 में इसने एक पुलिस अफसर को थप्पड़ मार दिया और फिर पुलिस इसके पीछे पड़ गई।
पुलिस ने दल बनाकर शहाबुद्दीन पर हमला किया, गोलीबारी में दो पुलिसवालों समेत आठ लोग मरे।
शहाबुद्दीन पुलिस की तीन गाड़ियां फूंककर नेपाल भाग गया।
इसी मामले में 2003 में शहाबुद्दीन को जेल जाना पड़ा।
2004 में जेल में रहते इसने लोकसभा चुनाव जीता और फिर बीजेपी से इसके खिलाफ लड़े ओमप्रकाश यादव के आठ कार्यकर्ताओं का खून हो गया।
2005 में सीवान के डीएम सीके अनिल और एसपी रत्न संजय ने शहाबुद्दीन को सीवान जिले से तड़ीपार किया।
फिर इसके घर पर रेड पड़ी और पाकिस्तान में बने हथियार, बम घर से बरामद हुए। ये भी सबूत मिले कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से इसके संबंध हैं।
2007 में कम्युनिस्ट पार्टी के ऑफिस में तोड़-फोड़ मे दो साल की सजा हुई।
फिर कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता की हत्या में आजीवन कारावास की सजा मिली।
2016 में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या कर दी।
इससे पहले सगे भाइयों को तेजाब से जला कर मारा था।

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