– शनिवार को पीएम मोदी ने मंदिर पर फहराई पताका, सुल्तान ने बना दी थी दरगाह
पावागढ़, डीडीसी। गुजरात का सुल्तान महमूद बेगड़ा। उसे जहरीला सुल्तान कहा जाता था। सुल्तान जिस महिला और लड़की के साथ सेक्स करता, वो मर जाती। अपने दुश्मनों को सुल्तान अपने थूक से ही मार देता था। इस मंदिरों को नष्ट कर दरगाहें बनाईं। उन्हीं में से एक मंदिर कालिका माता मंदिर है, जो गुजरात के पावागढ़ में स्थित है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 साल बाद मंदिर में ध्वज फहराया। मूल मंदिर 11वीं सदी में बना था। 15वीं सदी में इसके शिखर को गुजरात के सुल्तान रहे महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया और मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी थी।
बचपन से जहर देकर पाला था पिता ने
पुर्तगाली यात्री बाबोसा महमूद बेगड़ा के शासन के वक्त गुजरात आए थे। बबोसा अपनी किताब ‘द बुक ऑफ ड्यूरेटे बाबोसा वॉल्यूम 1’ में लिखते हैं कि बेगड़ा को बचपन से ही जहर देकर पाला गया था, क्योंकि उसके पिता नहीं चाहते थे कि उसे कोई जहर देकर मार सके।
बेगड़ा के शरीर पर बैठने वाली मक्खी भी मर जाती थी
बचपन में बेगड़ा को खाने के साथ कम मात्रा में जहर भी दिया जाता था ताकि उसे नुकसान न हो। हालांकि बाद में बेगड़ा का पूरा शरीर जहरीला हो गया। उस दौरान बेगड़ा के शरीर पर बैठने मात्र से मक्खी मर जाती थी। यहां तक कि उसके साथ सेक्स करने वाली लड़कियों और महिलाओं की भी मौत हो जाती थी।
सिर्फ थूक कर दुश्मन मार देता था सुल्तान
इटालियन यात्री लुडोविको डि वर्थेमा ने अपनी किताब ‘इटिनेरारियो डी लुडोइको डी वर्थेमा बोलोग्नीज’ में लिखा, जब भी बेगड़ा को किसी को मारना होता था तो वह उस व्यक्ति के कपड़े उतरवा कर उसके सामने पान खाता था और थोड़ी देर बाद उस व्यक्ति पर थूक देता था। आधे घंटे बाद ही उस व्यक्ति की मौत हो जाती थी।
साफे की तरह सिर पर बांधता था मूंछे
बेगड़ा की मूंछें भी काफी चर्चा में रही। उसको लेकर पुर्तगाली सैलानी कहते थे कि वे इतनी लंबी और रेशमी थीं कि उसे साफे की तरह वह अपने सिर पर बांध लिया करता था। कमर तक लहराने वाली दाढ़ी को बादशाह काफी अच्छा मानता था और ऐसे लोगों को तवज्जो भी देता था। उसके मंत्रिमंडल में कई लोग ऐसे थे, जिनकी दाढ़ी-मूंछें काफी लंबी-लंबी थीं।
1472 में बेगड़ा ने द्वारका मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था
बेगड़ा पर अपने शासन में पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर और द्वारका मंदिर को तुड़वाने का आरोप है। 1472 में बेगड़ा ने ही द्वारका मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था, ताकि लोगों की आस्था हिंदू भगवान से कम हो जाए। हालांकि 15वीं सदी में इसे दोबारा बनवाया गया था।
महमूद को बेगड़ा की उपाधि गिरनार जूनागढ़ और चम्पानेर के किलों को जीतने के बाद मिली थी। उसके राज में अनेक अरबी ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया गया। उसका दरबारी कवि उदयराज था, जो संस्कृत का कवि था।
राजाओं से इस्लाम कुबूल कराता था
महमूद बेगड़ा गुजरात का छठा सुल्तान था। उसका पूरा नाम अबुल फत नासिर-उद-दीन महमूद शाह प्रथम था। 13 साल की उम्र में गद्दी पर बैठा और 52 साल (1459-1511 ई.) राज किया। कट्टर इस्लामी शासक बेगड़ा जहर खाने और राक्षसी भोजन के लिए कुख्यात था।
बेगड़ा गुजरात के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक था। काफी कम वक्त में जूनागढ़ और पावागढ़ जैसे इलाकों पर कब्जा कर लिया था। कहा जाता है कि जीत हासिल करने पर बंदी राजा से वह इस्लाम कुबूल कराता और इनकार पर मौत के घाट उतार देता।