– सुरंग से दूर खड़े परिजन दुआ करते हैं कि काश सुंरग से जिंदा निकल आता मेरा लाल
चमोली, डीडीसी। मौत कैसी भी हो, अच्छी नही मानी जाती और तपोवन की मौत तो भयावह है, उसके लिए भी जिसे आई और उसके लिए भी जिसने लाशें देखीं। सुरंग से लाशों के निकलने का सिलसिला बदस्तूर जारी है, लेकिन जिंदा अभी तक कोई बाहर नही आया। जिस टनल में लोग फंसे हैं, वहां से लोगों को दूर रखा गया है। इन लोगों में वो लोग भी शामिल हैं, जिनके अपने सुरंग में जिंदा दफन हो चुके हैं। सुरंग से एक-एक कर लाशें बाहर निकाली जा रही हैं और लाश के साथ दूर खड़े परिजनों के आंसू ये सोच कर बाहर निकल रहे हैं कि कहीं ये लाश उनके लाल की तो नही। तपोवन में फिलहाल अभी सब कुछ हृदय विदारक और इतना कि शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।
लाशें बयां कर रहीं दर्दनाक मौत का फ़साना
पूरा बैराज परिजनों की हृदय विदारक क्रंदन से गूंज रहा है। ये क्रंदन सुनकर वो भी गमगीन हो पड़े जिनका इन सबसे कोई वास्ता नही था। लाशों को देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुंरग में फंसे लोगों को कितनी दर्दनाक मौत नसीब हुई। सुंरग से निकल रही लाशें कीचड़ से लबरेज हैं और इतनी कि बदन पर कीचड़ के सिवा कुछ भी नही। लाशों की आंख, नाक, कान और मुंह तक कीचड़ से भरे हुए हैं। ऐसी हालत देखकर किसी का भी कलेजा सिहर सकता है।
पहले संजय का शव फिर सोनू, गजेंद्र और सलदार की लाश
सोमवार को सुरंग से सबसे पहले पोखरी के संजय का शव सुरंग से बाहर लाया। संजय के परिजन भी उसकी तलाश में आए हुए थे। शव की शिनाख्त होने के बाद जैसे ही पता चला कि संजय नही रहा तो परिजनों के आंसू क्रंदन के साथ बहने लगे। संजय की लाश भी कीचड़ में लथपथ निष्प्राण थी। सोनू लोदी और गजेन्द्र का शव भी इसी टनल से मिला। सलदार का शव भी मलवे से पूरी तरह सना हुआ था।
रोंगटे खड़े हो रहे हैं शवों की हालत देखकर
सुरंग से बाहर लाए जा रहे शवों की हालत देखकर रौंगटे खड़े हो रहे हैं। आपदा के दिन सु्रंग में गाद भर जाने की वजह से सभी लोग उसी में धंस गए थे। सांस न ले पाने की वजह से दम घुटने से उनकी मौत हो गई। गाद में फंसे होने के दौरान उन पर जो बीती होगी, उसे सोच-सोच कर ही लोग सिहर उठते हैं।
साफ करने के बाद भी शवों को पहचानना मुश्किल
पेास्टमार्टम ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों की मानें तो जितने भी शव बाहर निकाले गए, सभी कीचड़ और गाद से सने हुए हैं और इस कदर सने है कि उन्हें पहचान पाना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में पोस्टमार्टम तो किया ही नही जा सकता। ऐसे में पहचान करने के लिए पहले तो शवों को साफ किया जा रहा है, लेकिन शवों की हालत इतनी बिगड़ चुकी होती है कि उन्हें साफ करने के बाद भी पहचान पाना मुश्किल होता है। इसके बाद तो उनके पास उपलब्ध कोई निशानी या पहचान पत्र से ही शवों की शिनाख्त हो पा रही है।