– बाबा नीम करौली 15 जून स्थापना दिवस पर dakiyaa.com की विशेष पेशकश
सर्वेश तिवारी, डीडीसी। फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग हो या स्टीव जॉब्स… बाबा नीम करौली के चरणों में सब नतमस्तक हैं। बाबा एक महान गुरु थे। श्रद्धालु महाराज जी कह कर पुकारते हैं। ये भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे। इनके अमेरिका में भी बहुत सारे श्रद्धालु हैं और वृन्दावन, ऋषिकेश, शिमला, कैंची आदि स्थानों में कई आश्रम हैं। इनका मुख्य मंदिर नीब करोरी में है, जोकि उत्तर प्रदेश में एक गांव है। ये गांव खिमसेपुर, फर्रुखाबाद में आता है। तो आइए जानते है बाबा नीम करौली बाबा के बारे में कुछ अनकही बातें।
नीम करौली बाबा की जीवनी (Neem Karoli Baba Biography)
असली नाम- लक्ष्मी नारायण शर्मा
उपनाम- महाराज जी
व्यवसाय- हिंदू गुरु, रहस्यवादी और हिंदू देवता हनुमान के भक्त
जन्मदिन- 11 सितम्बर 1900
जन्मस्थान- गांव अकबरपुर, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
जन्म व मृत्यु- 11 सितम्बर 1900 से 11 सितम्बर 1973 तक
मृत्यु का कारण- कोमा
मृत्यु स्थान- वृन्दावन
राशि- कन्या
राष्ट्रीयता- भारतीय
धर्म- हिन्दू
जाति- ब्राह्मण
वैवाहिक स्थिति- शादीशुदा
शादी की तारिख- 1911
बच्चे- अनेग सिंह शर्मा, धर्म नारायण शर्मा (बेटे), गिरिजा (बेटी)
दामाद- जगदीश भटेले
नीम करौली बाबा का इतिहास (Neem Karoli Baba History in Hindi)
इनका जन्म 11 सितम्बर 1900 में गांव अकबरपुर, फ़िरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ। इनका परिवार एक ब्राह्मण परिवार था। शादी 11 वर्ष की आयु में करा दी गई। जिसके बाद इन्होने साधु बनने का फैसला किया। बाद में जब इनके पिता ने इन्हे समझाया तब ये घर बापस आये।
ट्रेन की इस कहानी ने बढ़ाई बाबा के प्रति श्रद्धा
एक कहानी है जिसे सुन के लोगों के मन में इनके प्रति श्रद्धा बढ़ जाती है। बात 1958 की है जब ये और बाबा लक्सम दास बिना टिकट ट्रेन में सवार थे और टिकट कंडक्टर ने पकड़ लिया। टिकट न होने पर दोनों को ट्रेन से नीचे उतार दिया गया, लेकिन फिर ट्रेन अपने स्थान से तिनका भर भी नही हिल पाई। उन्हें जहां उतरने को कहा गया वो स्थान नीब करोरी गांव था, जो जिला फर्रुखाबाद में है।
बहरहाल, काफी प्रयास किये गए, लेकिन ट्रेन टस से मस नही हुई। फिर सबने कंडक्टर से बाबा जी को दोबारा से ट्रैन में बैठाने को कहा। कंडकटर को अपनी गलती समझ आई और उन्होंने बाबा से ट्रैन में बैठने का आग्रह किया, लेकिन बाबा नहीं माने। जब सबने आग्रह किया तो उन्होंने कहा ठीक है,
बाबा के हस्ताक्षर
लेकिन इसी स्थान पर रेलवे को स्टेशन बनवाना पड़ेगा। तब सभी ने वादा किया और बाबा ट्रेन में बैठे तो ट्रेन चली पड़ी। उसके बाद वहां बाबा का भव्य मंदिर भी बनवाया गया और रेलवे द्वारा वहां स्टेशन का भी निर्माण हुआ। जो नीब करोरी के नाम से जाना जाता है।
नीम करौली बाबा के रोचक तथ्य( Neem Karoli Baba Facts)
= बाबा जी अधिकतर लकड़ी के तखत पे बैठना पसंद करते थे और अधिकतर ये दो रंग का कंबल ओढ़ते थे। इनके पास आये लोग दोबारा जरूर आते थे, क्यूंकि ये उनके साथ हंसी-मजाक बहुत करते थे।
= इन्होने जब गुजरात के ववाणीया मोरबी में तपस्या की तब इन्हे वहां के लोग तल्लैया बाबा कहने लगे थे।
= वृन्दावन के निवासी इन्हे चमत्कारी बाबा कह के पुकारते हैं।
= इन्हे और भी नाम दिए जा चुके हैं जैसे की हांडी वाले बाबा, लक्ष्मण दास, आदि।
= कभी कभी ये बिलकुल शांत हो जाते थे और ध्यान लगा लेते थे चाहे उस समय उनके भक्त हो या न हो।
= बात 1973 की है जब इनके एक भक्त योगेश बहुगुणा ने 8 संतरे लिए, जिन्हे वो बाबा जी को बार बार खाने का आग्रह कर रहे थे, लेकिन कुछ ही पल में बाबा ने उन फल को अपने बाकि भक्तों के बीच बाट दिए। जिसे देख योगेश जी चकित हो गए क्यूंकि वो फल 8 थे और कुछ ही पल में वो 18 हो गए थे।
= 1960 से 1970 में इनकी पहचान बाहर के राष्ट्रों में भी हो गई।
= इनका नीब करोरी में भी भव्य मंदिर बना है जिसमे एक स्थान पे इन्होने साधना की थी वो मिटटी का बना है। जहां मान्यता है की कुछ मान्यता मांग के यदि वहां धागा बांधा जाये तो मान्यता पूरी हो जाती है।
= इन्हें भगवान हनुमान से सिद्धि प्राप्त थी ऐसा माना जाता है और ये समय समय पे अपने चमत्कार दिखाते रहते थे।
= रिचर्ड एल्पेर्ट अमेरिकी दवाओं के बड़े व्यापारी थे, लेकिन जब उनकी मुलाकात बाबाजी से हुई, उसके बाद वह पूरी तरह से बदल गए और बाबा रामदास के नाम से शिक्षक बन गए।
= सितम्बर 1973 में उसकी छाती में अचानक दर्द हुआ। उन्हें वृन्दावन के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर डायबिटिक कोमा की पुष्टि की। बाबा जी ने कई बार गंगा जल मांगा और रात प्राण त्याग दिए।
= इनकी समाधि स्थल वृन्दावन आश्रम में स्थित है।