– इजरायली जेलों में कैद आतंकी कर रहे स्पर्म स्मगलिंग का सहारा
– सोच : आतंकवादी के स्पर्म से पैदा होगी एक आतंकवादी संतान
– जेल में बंद 71 से ज्यादा कैदियों की बीवियां घर बैठे बन गई मां
इजरायल, डीडीसी। इजरायल के खिलाफ दशकों से मोर्चा खोल कर बैठे फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने जंग को आगे बढ़ाने का एक और तरीका इजात कर चुके हैं। ये तरीका है स्पर्म स्मगलिंग का। इस तरीके से उन आतंकवादियों की बीवियां घर बैठे मां बन रही हैं, जिनके पति सालों से इजरायली जेल में कैद है। इन्हें अपनी बीवियों से मिलने की पूरी तरह से मनाही है। आतंकवादियों के स्पर्म स्मगलिंग के पीछे सीधी सी सोच है कि एक आतंकवादी के स्पर्म से एक और आतंकवादी का जन्म होगा। अगर आप सोच रहे हैं कि आखिर जेल में कैद आतंकवादी कैसे सुरक्षित तरीके से स्पर्म को अपनी बीवियों तक पहुंचा रहे हैं। तो आपको यह भी जानना चाहिए कि जेल में बंद 71 से ज्यादा आतंकवादी अभी तक इस तरीके से बाप और उनकी बीवियां मां बन चुकी है। ये सब सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि इजरायल के खिलाफ चल रही जंग को बदस्तूर आगे बढ़ाया जा सके और ये कामयाब भी हो रहे हैं।
फल, कुकीज, सिगरेट के जरिये भेजा जा रहा स्पर्म
फिलिस्तीनी आंतकवादी खुद का वजूद बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं और यही वजह कि इजरायल की जेलों से स्पर्म स्मगलिंग हो रही है। जेलों में बंद आतंकवादी चॉकलेट के पैकेट, पेन, कुकीज और सिगरेट लाइटर के जरिये स्पर्म अपनी बीवियों तक पहुंचा रहे हैं। और तो और ये आतंकी बारीक चीरे लगाकर ताजे फलों में स्पर्म की स्मलिंग भी कर रहे हैं। इसके अलावा कैंडी के रैपर का इस्तेमाल भी स्पर्म स्मलिंग के लिए हो रहा है।
ईरान करता है आतंकी बीवियों की गर्भ धारण में मदद
आपको बता दें कि फिलिस्तीनी आतंकियों को लगभग सभी अरब देशों का समर्थन हासिल है। अरब देशों और इजरायल के बीच पुरानी दुश्मनी है और खास तौर पर ईरान से। इसी वजह से फिलिस्तीनी आतंकियों को ईरान खुद कर मदद देता है। ताकि इजरायल को जमींदोज किया जा सके। यही वजह है कि जिस स्पर्म को इंपर्टिलिटी क्लीनिक में ले जाया जाता है वह ईरान से ताल्लुक रखते हैं। महिलाएं अपने ही पति के स्पर्म से गर्भवती हुई है, इसके लिए लैब में पूरी कागजी कार्रवाई की जाती है। ताकि मुस्लिम समाज उन्हें गंदी नजर से न देखे।
तोहफों के जरिये जेलों से बाहर भेजा जाता है स्पर्म
इजरायल की जेलों से कुछ भी बाहर ले जाना या अंदर लाना आसान नहीं होता। यहां की जेलों में बंद आतंकियों को वैवाहिक मुलाकात की इजाजत भी नहीं होती। हां आतंकियों के परिजन उन तक तोहफे के तौर पर खाने-पीने की चीजें जरूरत पहुंचा सकते हैं। तोहफे जेल में आने की जानकारी इन आतंकियों को पहले ही दे दी जाती है और वह स्पर्म को कलेक्ट करने के जुगाड़ में लग जाते हैं। जैसे ही तोहफे के तौर पर चॉकलेट के पैकेट, सिगरेट, लाइटर, पेन, कुकीज या फल आते हैं तो ये उनमें अपना स्पर्म सुरक्षित कर देते हैं। जिसे आसानी से परिजन जेल के बाहर लेकर चले जाते हैं। जेलों से निकला स्पर्म सीधे इंफर्टिलिटी क्लीनिक तक पहुंचा दिया जाता है। ताकि स्पर्म को सुरक्षित कर आगे का प्रोसेस किया जा सके।
अरब देश और इजरायल इस वजह से हैं दुश्मन
स्पर्म स्मलिंग के पूरे खेल को समझने के लिए आपको इतिहास में झांकना होगा। पूरा मसले की शुरुआत होती है वर्ष 1922 से। इस समय ये इलाका ब्रिटिश के कब्जे में थे और बाद में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यहां यहूदियों का नरसंहार हुआ। जब ये सब ख्समाप्त हुआ तो शांति के बाद यहूदियों के नाम पर एक अलग देश बना दिया गया। यहूदियों का अलग देश बनने की वजह से इजरायल दो हिस्सों में बंट चुका था। एक यहूदी देश बना और दूसरा अरब राज्य। हालांकि इन सबके बावजूद समस्या खत्म नहीं हुई और वजह था जेरुसलम। इस इलाके में मुस्लिम भी थे और यहूदी भी। तय हुआ कि इसे इंटरनेशनल निगरानी में चलाया जाएगा, लेकिन इस फैसले के बाद अरब देशों ने इजरायल पर हमला कर दिया, लेकिन इजरायल को हरा नहीं सके। इसके बाद से ही ये एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं।

