– सात-सात उम्र कैद और एक फांसी की सजा पाए डॉ. देवेंद्र शर्मा जैसे सीरियल किलर को दो-दो बार मिली पैरोल, दोनों बार हुआ फरार
Dr.Death or Devendra Sharma, DDC : भारत का डॉ.डेथ यानी डॉक्टर देवेंद्र शर्मा, जिसका काम लोगों को जिंदगी देना था, लेकिन वो जिंदगी छीनने का आदी बन गया। डॉक्टरी करते-करते पहले वो किडनी चोर बना और फिर बन गया सीरियल किलर। जिसने एक के बाद एक 50 हत्याएं कर दीं और एक भी लाश पुलिस बरामद नहीं कर सकी। उसने सारी की सारी लाशें मगरमच्छों को खिला दीं। उसे सात-सात उम्र और एक फांसी की सजा मिल चुकी है। बावजूद इसके उसे दो-दो बार पैरोल दे दी गई और वो दोनों बार फरार हो गया। पौने दो साल से दिल्ली पुलिस उसे तलाश रही थी और जब पकड़ा गया तो वो बाबा का भेष धारण कर चुका था।
उत्तर प्रदेश के कासगंज में मौजूद है हजारा नदी। ये नदी अपने ऐतिहासिक पुल के लिए मशहूर है। जिसे झाल का पुल या नदरई का पुल भी कहा जाता है। कासगंज के मुहाने पर बसे नदरई गांव के करीब ये पुल अंग्रेजों ने बनाया था। दिखने में खूबसूरत इस हजारा नदी ने अपने बहते पानी के अंदर कितने ही मगरमच्छों को पाल रखा है। देश की जितनी भी नदियां होंगी, उन तमाम नदियों के मुकाबले इस हजारा नदी में मौजूद मगरमच्छों ने शायद सबसे ज्यादा इंसानों को अपना निवाला बनाया होगा। इसी नदी से जुड़ा है देवेंद्र शर्मा का नाम, जिसे ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से ज्यादा पहचाना जाता है। एक अकेले देवेंद्र शर्मा यानि डॉक्टर डेथ ने अपने हाथों से कम से कम 50 मुर्दा इंसानों को हजारा नदी में मौजूद उन मगरमच्छों का निवाला बनने के लिए फेंका था।
डॉक्टर डेथ को देखकर कंफ्यूज हो गई पुलिस
राजस्थान के दौसा में रामेश्वर धाम आश्रम है। इस आश्रम में पिछले 6 महीने से दिल्ली पुलिस की एक टीम एक खास बाबा पर नजरें गड़ाए बैठी थी। इस बाबा की तलाश पिछले पौने 2 सालों से दिल्ली पुलिस को थी। पुलिस इस बाबा के करीब तो थी, लेकिन दिक्कत ये थी कि उसका चेहरा और हाव-भाव इस कदर बदला हुए था कि पुलिस खुद कनफ्यूज थी कि जिसकी तलाश में वो यहां तक आई है, क्या ये बाबा वही है? बढ़े बाल, बेतरतीब दाढ़ी और बूढ़ी उम्र ने उस शख्स का पूरा हुलिया बदल कर रख दिया था।
आंख और नाक का हुलिया नहीं बदल पाया डॉक्टर
अब सिर्फ शक की बिनाह पर एक आश्रम के अंदर एक बाबा पर हाथ डालना मुश्किल भरा काम था। लिहाजा, पुलिस ने उस बाबा की पुरानी तस्वीर और वीडियो के जरिए खास तौर पर उसकी आंखें और नाक से उसका मिलान करना शुरू किया। दरअसल, बढ़ती उम्र या बदले हुलिए के बावजूद आंखें ही वो चीज हैं, जिनसे किसी शख्स को आसानी से पकड़ा जाता है। क्योंकि आंखें बदलती नहीं हैं। ठीक इसी तरह नाक का नक्शा भी बदलता नहीं है और बस इन्हीं आंखों और नाक से जब बाबा की असलियत पुख्ता हो गई, तो बीते रविवार (18 मई) को इसी आश्रम और उसके इर्द-गिर्द लंबे वक्त से इंतजार कर रहे पुलिस वालों को आखिरकार पौने 2 साल बाद कामयाबी मिल ही गई।
6 साल में किए 50 से ज्यादा लोगों का मर्डर
50 या शायद उससे ज्यादा कत्ल करने वाला सीरियल किलर, दो-दो पैरोल जंप कर भागने वाला, सात-सात उम्र कैद और एक सजा एक मौत का मुजरिम देवेंद्र शर्मा उर्फ डॉक्टर डेथ अब तीसरी बार पुलिस के शिकंजे में आ चुका है। 67 साल का देवेंद्र शर्मा वो सीरियल किलर है, जिसने 1998 से 2004 यानी सिर्फ 6 सालों में 50 या शायद उससे भी ज्यादा लोगों के कत्ल किए।
ठगों का शिकार बना डॉक्टर
देवेंद्र शर्मा घर अलीगढ़ में था, लेकिन बाद में उसने राजस्थान के बांदीकुई की जनता क्लिनिक में प्रैक्टिस शुरू कर दी। करीब 11 साल तक वो जनता क्लिनिक में प्रैक्टिस करता रहा। इस दौरान उसने प्रैक्टिस से जो पैसे कमाए, उसे एक गैस कंपनी की डीलरशिप लेने की कोशिश की, लेकिन साल 1994 में उसकी सारी जमा पूंजी करीब 11 लाख रुपये डीलरशिप के नाम पर कुछ लोगों ने ठग लिए।
दिल्ली में फैलाया किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट
इसी के बाद अब देवेंद्र शर्मा वापस अलीगढ़ लौटा। उसकी दोस्ती दिल्ली के एक दूसरे डॉक्टर से हुई। उस डॉक्टर के साथ मिलकर उसने किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट शुरू कर दिया। एक किडनी ट्रांसप्लांट से उसे और उसके साथी डॉक्टर को 5 से 7 लाख रुपये मिला करते थे। ये धंधा चल पड़ा, लेकिन किडनी के मरीजों की तादाद ज्यादा थी और डोनर या पैसे लेकर अपनी किडनी देने वाले कम थे। बस यहीं से देवेंद्र शर्मा के दिमाग में एक खौफनाक आइडिया आया।
ट्रक ड्राइवरों को मार कर चोरी करने लगा सिलेंडर
इसी आइडिया के तहत उसने अलीगढ़ में सबसे पहले एक फर्जी गैस एजेंसी खोली। इसी गैस एजेंसी के नाम पर अब वो ट्रक बुक करने लगा। खास कर वो ट्रक जिसमें गैस सिलेंडर हुआ करता था। अलीगढ़ के 50-60 किलोमीटर के दायरे में मौका देख कर वो ट्रक ड्राइवर को मार डालता। सिलेंडर चुरा लेता और फिर ट्रक ड्राइवर की लाश हजारा नदी में लाकर फेंक देता। क्योंकि उसे पता था कि इस नदी में इतने मगरमच्छ हैं कि कभी किसी की लाश मिलेगी ही नहीं।
ड्राइवर के मर्डर के बाद ब्लैक मार्केट में बेंच देता था टैक्सी
पर कुछ वक्त बाद ही देवेंद्र को अहसास हुआ कि ट्रक वाला मामला आगे चल कर उसके लिए खतरा बन सकता है। लिहाजा, अब उसने काम का तरीका बदला। अब उसने टैक्सी बुक करानी शुरू कर दी। फिर टैक्सी जैसे ही इसी हजारा नदी या उसके आस-पास से गुजरती, मौका देख कर वो टैक्सी ड्राइवर को मार डालता। फिर उसकी लाश इसी हजारा नदी में मगरमच्छ का निवाला बनने के लिए फेंक देता। जबकि उसकी टैक्सी को ले जाकर ब्लैक मार्केट में औने-पौने दामों पर बेच देता।
तलाशा, लेकिन हजारा नदी से नहीं मिली एक भी लाश
ऐसे ही एक टैक्सी ड्राइवर के कत्ल की कोशिश के दौरान 2004 में आखिरकार देवेंद्र शर्मा पकड़ा गयाष उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जब तफ्तीश की, तो पाया कि देवेंद्र कुल 21 टैक्सी ड्राइवर का कत्ल कर चुका है. इसीलिए शुरुआत में पुलिस ने देवेंद्र शर्मा के खिलाफ 21 कत्ल का मामला बनाया. लेकिन तब पुलिस हैरान रह गई जब गिरफ्तारी के बाद एक दिन खुद देवेंद्र शर्मा ने पुलिस के सामने ये खुलासा किया कि उसने 21 नहीं बल्कि टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों को मिला कर करीब 50 कत्ल किए हैं। उसने ये भी बताया कि उसने हर कत्ल के बाद लाश को जानबूझ कर हजारा नदी में इसलिए फेंका, ताकि पुलिस कभी किसी लाश का सबूत ढूंढ ना पाए। उसके खुलासे के बाद हजारा नदी में तलाशी अभियान भी चलाया गया, लेकिन देवेंद्र शर्मा सही था। उसके हाथों मारे गए 50 में से 1 भी इंसान की लाश आज तक पुलिस को नहीं मिली।
वर्ष 2020 तक जयपुर की सेंट्रल जेल में था बंद
बाद में मुकदमे की कार्रवाई शुरू हुई। चूंकि देवेंद्र शर्मा के हाथों मारे गए 1 भी शख्स की लाश नहीं मिली थी, लिहाजा अदालत ने सिर्फ 7 मामलों में उसे उम्र कैद की सजा सुनाई। जबकि गुरुग्राम के एक मर्डर केस में अदालत ने उसे सजा-ए-मौत दी। बाकी मुकदमों का फैसला आना अभी बाकी है. देवेंद्र शर्मा ने जितनी भी टैक्सी बुक की थी, वो सारी टैक्सी दिल्ली और गुरुग्राम की थीं। सात-सात उम्र कैद और एक सजा-ए-मौत पाने वाला सजायाफ्ता कैदी 2020 तक जयपुर सेंट्रल जेल में बंद था। जेल में उसके अच्छे चाल लन की वजह से 2020 में ही उसे कुछ दिनों के पैरोल पर रिहा किया गया था।
पैरोल से भाग कर प्रॉपर्टी डीलर बना डॉक्टर डेथ
लेकिन पैरोल पर बाहर आया देवेंद्र शर्मा वापस फिर जेल गया ही नहीं। पैरोल पर फरारी के कुछ महीने बाद ही दिल्ली पुलिस को इंस्पेक्टर को मुखबिर से खबर मिली कि देवेंद्र शर्मा अपनी दूसरी बीवी के साथ नाम बदल कर दिल्ली में ही छुपा है। दिल्ली में अब उसने प्रॉपर्टी डीलर का काम शुरू कर दिया था। मुखबिर की खबर पर आखिरकार दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। 2020 में हुई इस गिरफ्तारी के बाद से ही देवेंद्र शर्मा तिहाड़ जेल में बंद था।
दो बार अच्छे चाल-चलन की वजह से मिली पैरोल
3 साल बाद 2023 में एक बार फिर देवेंद्र शर्मा के अच्छे चाल चलन के चलते उसे दोबारा दो महीने की पैरोल मिल गई। ये पैरोल उसे 3 जून 2023 को मिली थी। कायदे से 2 अगस्त की शाम तक उसे वापस तिहाड़ जेल पहुंचना था, लेकिन देवेंद्र शर्मा एक बार फिर पुलिस और कानून को चकमा देने में कामयाब रहा। वो दूसरी बार पैरोल जंप कर भाग चुका था। अब दिल्ली पुलिस की एक स्पेशल टीम सिर्फ उसके पकड़ने के लिए बनाई जाती है। लगभग पौने 2 सालों तक देवेंद्र शर्मा पुलिस को छकाता रहता है। फिर आखिर में करीब 6 महीने पहले मिली एक जानकारी पुलिस को आखिरकार देवेंद्र शर्मा तक पहुंचा देती है।