निठारी हत्याकांड : नोएडा की खूनी कोठी और बच्चों के कंकाल से दहल गई थी दुनिया

– खौफनाक 17 से ज्यादा बच्चों के मिले थे नाले में कंकाल, कॉल गर्ल की तलाश ने खोले थे राज

Nithari murder case, DDC : निठारी हत्याकांड, जिसने सुना और देखा उसके हलक में सांस अटक गई। वर्ष 2006 के दिसंबर महीने में नोएडा में एक ऐसे सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ, जिसे सुनकर हर किसी का कलेजा दहल गया। देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में एक कोठी के पास से एक के बाद एक बच्चों के कंकाल मिलना शुरू हुए तो देश के कोने-कोने और दुनिया में सनसनी फैल गई। ये केस निठारी हत्याकांड के नाम से चर्चित हुआ। बच्चों के लगातार गायब होने की घटना के ऐसे खुलासे की उम्मीद किसी ने सपने में भी नहीं की थी। बच्चों को कोठी में ले जाकर उनके साथ बर्बरता की गई और फिर बेहरमी से कत्ल कर दिया गया। बाद में उनके कंकाल को पास के नाले में बहा देने वाले नरपिशाचों का चेहरा दुनिया ने देखा।

यही हैं निठारी हत्याकांड के आरोपी
यही हैं निठारी हत्याकांड के आरोपी

नोएडा के निठारी गांव के बगल में सेक्टर-31 में यह सनसनीखेज मामला सामने आया था। यहां की D-5 कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया था। पुलिस की विवेचना के बीच ही मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के कुल 16 मामले दर्ज किए। दोनों बड़े ही शातिर ढंग से गांव के भोले-भाले मासूम बच्चों को किसी न किसी बहाने अपने पास बुलाते थे। इसके बाद उनके साथ हैवानियत की हदें पार कर उनकी हत्या करने के बाद लाश के टुकड़े-टुकड़े कर नाले में बहा देते थे।

टुकड़े करते और पका कर खा जाते थे
मासूम बच्चों को अपनी कोठी में ले जाकर उनके साथ कुकर्म और फिर उसके बाद उनकी गला दबाकर हत्या कर देते थे। इतने से भी मन नहीं भरता था तो उनके शवों के छोटे-छोटे टुकड़े कर कुछ पकाकर खा जाते तो कुछ हिस्से को कोठी के पीछे नाले में बहा देते थे। यह खौफनाक सिलसिला करीब डेढ़ साल से ज्यादा समय तक चला, लेकिन किसी की नजर इस कोठी पर नहीं पड़ी। हालांकि लोगों को कोठी के पास स्थित पानी की एक टंकी के आसपास से बच्चों को गायब होने का शक जरूर हुआ था।

कॉल गर्ल की तलाश लेकर पहुंची सेक्टर-31 की D-5 कोठी तक
साल 2005-06 के दौरान निठारी गांव में डेढ़-दो साल से बच्चे गायब हो रहे थे। इनकी उम्र 7 साल से लेकर 13-14 साल तक की थी। 2006 के दिसंबर में एक कॉल गर्ल की तलाश करती पुलिस D-5 कोठी पहुंची तो वहां के नाले से 19-20 बच्चों-महिलाओं की हड्डियां और कंकाल मिले। धीरे-धीरे पुलिस की जांच का सिलसिला शुरू हुआ तो हड़कंप ही मच गया। D-5 कोठी में मनिंदर सिंह पढेंर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को इन सभी हत्याओं का कुसूरवार माना गया। जांच में निकला कि कोली बच्चों को टॉफी का लालच देकर बुलाया करता था।

CBI ने दी फांसी, इलाहाबाद ने कोर्ट ने किया बरी
इस मामले में 17 से अधिक नरकंकाल मिलने की बात सामने आई थी। पहले इसकी जांच नोएडा पुलिस ने शुरू की थी जो बाद में सीबीआई के हाथों में आ गई थी। इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोपी सुरेंद्र कोली और मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसे पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोषियों को फांसी की सजा से बरी कर दिया। इस मामले में सीबीआई कोर्ट में पर्याप्त सबूत देने में कामयाब नहीं हो पाई।

निठारी कांड केस में कब क्या हुआ
1. 29 दिसंबर 2006 – नोएडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार।
2. 8 फरवरी 2007 – पंढेर और कोली को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया।
3. मई 2007 – सीबीआई ने पंढेर को चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या में आरोपमुक्त कर दिया था। दो माह बाद कोर्ट की फटकार पर उसे सह अभियुक्त बनाया।
4. 13 फरवरी 2009 – विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 10 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। यह पहला फैसला था।
5. 3 सितंबर 2014 – कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट जारी किया।
6. 4 सितंबर 2014 – कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया।
7. 12 सितंबर 2014 – पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी। वकीलों के समूह डेथ पेनाल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा।
8. 12 सितंबर 2014 – सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर 29 अक्टूबर 2014 तक रोक लगाई।
9. 28 अक्टूबर 2014 – सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की।
वर्ष 2014 – राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी।
10. 28 जनवरी 2015 – हत्या के मामले में कोली की फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
11. 8 दिसंबर 2017 – सुरेंद्र कोली एवं मोनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा।
12. 6 अप्रैल 2019 – सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा। पंढेर बरी।
13. 15 जनवरी 2021 – सुरेंद्र कोली दोषी करार। मोनिंदर पंढेर बरी।
14. 16 अक्तूबर 2023 – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया।

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