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साइबर क्राइम से जुड़ी अपहरण की कहानी, सनसनीखेज वारदात की एक और जुबानी

. पैसों का लेनेदेन और रंजिश के बाद अब सच्चे अपहरण केस से जुड़ा साइबर क्राइम

Tushar kidnapping case, DDC : उत्तराखंड में नैनीताल स्थित हल्द्वानी के मुखानी थाना क्षेत्र में हुए सनसनीखजे अपहरण की वारदात से जुड़ी रोज एक नई कहानी सामने आ रही है। पहले इसे लेनदेन का मामला माना गया, फिर रंजिश को अपहरण की वजह बताया गया। अब अस्पताल में भर्ती घायल अपह्रत तुषार ने एक और कहानी सुनाई है। उसका कहना है कि अपहरण करने वाले उससे साइबर फ्रॉड कराना चाहते थे और जब उसने इससे इंकार किया तो न सिर्फ उसका अपहरण किया, बल्कि उसका जान से मार डालने की कोशिश भी। इधर, अपहरणकर्ता अभी भी पुलिस की पहुंच से दूर हैं।

अधमरा कर फेंका था NH-35 पर
बीती 6 मई की सुबह 10 बजे तल्ली बमौरी मुखानी में रहने वाले 27 वर्षीय तुषार लोहनी का कार सवारों ने अपहरण किया था। उसे सड़क से खींचते हुए ले जाया गया और पीट-पीट कर जबरन कार में डाला गया। चार दिनों तक अपहरणकर्ताओं ने उसे बंधक बनाकर रखा और पीट-पीट कर अधमरा कर दिया। लगभग मरा समझ कर उसे एनएच-35 पर बांदा से करीब 37 किमी पहले फेंक दिया गया। 10 मई से सोबन सिंह जीना बेस चिकित्सालय में उसका उपचार चल रहा है। इस मामले में कपिल तिवारी और आलोक रंजन तिवारी के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था।

तुषार के हुनर का नाजायज फायदा उठाना चाहते थे अपहर्ता
तुषार का कहना है कि वह कंप्यूटर साइंस इंजीनियर और ऑनलाइन वित्तीय मामलों का माहिर है। आरोपी कपिल तिवारी और आलोक रंजन तिवारी उसे लंबे समय से जानते हैं। वह उसके हुनर से भी अच्छी तरह वाकिफ थे। इसी का फायदा उठाने के लिए उसका अपहरण किया गया। उसे अगवा करने के बाद उसके फोन के पासवर्ड तोड़े और रिश्तेदारों को कॉल करके रंगदारी मांगने के लिए दबाव बनाया। कहा कि वह मेरे पेशे का गलत फायदा उठाकर लाखों ऐठनें की साजिश कर रहे थे। उस पर साइबर फ्रॉड कराना चाहते थे। मना करने पर उसके साथ मारपीट की और हड्डियां तक तोड़ दी। वहीं थानाध्यक्ष विजय मेहता का कहना है कि किसी भी आरोपी को छोड़ा नहीं जाएगा। पुलिस की टीमें लगातार कार सवार अपहरकर्ताओं की तलाश कर रही हैं।

क्या कहना था पिता और क्या कह रही थी पुलिस
तुषार के पिता गिरीश चंद्र लोहनी, पीडब्ल्यूडी में संविदा कर्मी हैं और उन्हें डर सता रहा कि आरोपी उनके परिवार को जान से मार सकते हैं। इस मामले में गिरीश का कहना था कि उनका बेटा दिल्ली में जिस मालिक के साथ काम करता है, उसके साथ आलोक रंजन तिवारी का विवाद है। मामला न्यायालय में है और आरोप चाहते थे कि तुषार मामले में गवाही न दे। इसी के साथ 22 लाख रुपये के लेनदेन की बात भी सामने आई थी। पुलिस भी इसी लेनदेन को अपहरण की वजह मान रही थी, लेकिन अब अन्य आरोपों के आधार पर भी जांच की जा रही है।

 

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