– महिला के बयान के बाद पुलिस ने लगाया पॉक्सो एक्ट, गुरुवार को नाबालिग बेटी के दर्ज होंगे 164 के बयान
POCSO imposed on Mukesh Bora, DDC : नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा पर गिरफ्तारी की तलवार लटक चुकी है। मुकेश पर दुष्कर्म का मुकदमा पहले ही दर्ज है और अब पीड़िता के बयान के बाद उस पर पॉक्सो एक्ट भी लगा दिया गया है। पीड़िता का कहना है कि आरोपी मुकेश बोरा उसकी बेटी से भी छेड़छाड़ करता था।
सीओ लालकुआं संगीता ने बताया कि मंगलवार को पीड़िता को बयान के लिए बुलाया गया था, लेकिन किसी कारणवश वह नहीं आ सकी। बुधवार को जांच अधिकारी महिला के बताए हुए स्थान पर गई और उनके साथ उनकी 12 वर्षीय बेटी के बयान भी दर्ज किए। बेटी के बयानों के आधार पर मुकेश बोरा के मुकदमें में पॉक्सो बढ़ाई गई है। गुरुवार को नाबालिग को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। जहां उसके 164 के बयान दर्ज किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि जब महिला के 164 के बयान हुए थे तो उसने अपनी बेटी के साथ भी छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे।
सुबूतों का घर है मुकेश बोरा का मोबाइल
मुकेश बोरा को पुलिस मोहलत क्यों दे रही है। जांच के नाम पर चार दिन से पुलिस मामले को टरका रही है। पीड़िता जिस मोबाइल को सुबूतों का घर बता रही है, पुलिस ने मुकेश बोरा को वो मोबाइल भी अभी तक जब्त नहीं किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पुलिस किसी के दबाव में काम कर रही है।
परमानेंट नौकरी के नाम पर किया दुष्कर्म
लालकुआं निवासी पीड़िता के अनुसार दुष्कर्म का सिलसिला वर्ष 2021 में तब शुरू हुआ था, जब वह मुकेश बोरा के पास नौकरी मांगने गई थी। उसकी नौकरी दिहाड़ी पर लगी और मुकेश बोरा नौकरी परमानेंट करने के नाम पर जबरन उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने पीड़िता से पूछताछ की थी और पीड़िता ने पुलिस को बताया कि मुकेश बोरा का मोबाइल उसी के खिलाफ सुबूतों से भरा पड़ा है। बावजूद इसके पुलिस ने उसका मोबाइल जब्त करने की जहमत नहीं उठाई।
तहरीर के 24 घंटे बाद दर्ज हुआ मुकदमा
इस मामले में पीड़िता ने पुलिस को शनिवार 3 अगस्त को तहरीर सौंपी थी। पुलिस 24 घंटे तक जांच के नाम पर चुप बैठी रही। अगले दिन रविवार को मुकदमा तो दर्ज हुआ। अब गुरुवार भी गुजर गया, लेकिन सुबूतों से भरा मोबाइल जब्त करना पुलिस ने जरूरी नहीं समझा। जबकि क्राइम मीटिंग में खुद एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने निर्देश दिए थे कि महिला संबंधी अपराधों में त्वरित कार्रवाई की जाए। बावजूद इसके जांच के नाम पर चार दिन गुजार दिए गए। इस बीच मुकेश बोरा अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट पहुंच गया।