– वेटेनरी डॉक्टर के तबादले का विरोध, विधायक की कार के आगे लेटे ग्रामीण
Opposition from MLA Mohan Singh Bisht, DDC : रविवार को चोरगलिया में दुग्ध समिति के बोनस वितरण कार्यक्रम के दौरान विधायक डॉ मोहन बिष्ट को ग्रामीणों के तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा। स्थानीय पशुपालकों और महिलाओं ने वेटरनरी डॉक्टर भुवन चंद्र पंत के तबादले के खिलाफ एकजुट होकर नारेबाजी की, जिससे क्षेत्र का माहौल गरमा गया। ग्रामीण विधायक की कार के आगे लेट गए। विधायक को ग्रामीणों के बीच से निकालने के लिए भारी पुलिस बल बुलाना पड़ा। विधायक को सुरक्षित निकालने के लिए पुलिस को एक किमी तक पैदल मशक्कत करनी पड़ी।
ग्रामीणों का आरोप है कि डॉक्टर पंत को एक फेसबुक पोस्ट के कारण हटाया गया है, जिसमें उन्होंने विधायक की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। ग्रामीणों ने बताया कि डॉक्टर पंत बेहद कर्मठ और क्षेत्र के पशुपालकों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण थे। उनका मानना है कि इस तबादले के पीछे एक सुनियोजित साजिश है और उन्होंने डॉ बिष्ट से उनकी वापसी की मांग की।
विरोध की पृष्ठभूमि
ग्रामीणों का आरोप है कि डॉक्टर पंत को एक फेसबुक पोस्ट के कारण हटाया गया है, जिसमें उन्होंने विधायक की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। स्थानीय निवासी, जिन्होंने डॉक्टर पंत को समर्थन दिया, उनका कहना है कि वे क्षेत्र के पशुपालकों के प्रति बेहद सहानुभूतिपूर्ण थे और उनके जाने से उनकी पशुपालन गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीणों ने डॉ बिष्ट से डॉक्टर की तत्काल वापसी की मांग की, और कहा कि यह निर्णय जनहित में नहीं है।
घेराव की घटना
जैसे ही विधायक डॉ बिष्ट कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे, वहां सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया। “डॉ मोहन बिष्ट मुर्दाबाद” के नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। ग्रामीणों ने विधायक से मिलने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया, जिससे आक्रोश और बढ़ गया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उन्हें अपनी बात सुनाने का मौका नहीं दिया जा रहा है।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस ने आसपास के थानों से अतिरिक्त बल बुलवाया। लेकिन, कई महिलाएं और पुरुष सड़क पर लेट गए, जिससे विधायक की गाड़ी को आगे बढ़ाने में पुलिस को काफी कठिनाई हुई। थानाध्यक्ष राजेश जोशी ने प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के प्रयास किए, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। अंततः, भारी पुलिस बल की मदद से विधायक को लगभग 1 किलोमीटर पैदल चलकर गांव से बाहर निकाला गया, जबकि पीछे चल रहे ग्रामीण लगातार उनके खिलाफ नारेबाजी करते रहे।
स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया
इस विरोध प्रदर्शन में प्रमुख स्थानीय नेता शामिल हुए, जैसे कमल दुर्गापाल, भावना बजेठा, नंदन बोरा, और अन्य। उन्होंने विधायक से मांग की कि वे क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करें और डॉक्टर पंत की वापसी की सुनिश्चित करें। भावना बजेठा ने कहा, “हम अपने अधिकारों के लिए खड़े हुए हैं। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो हम और उग्र आंदोलन करेंगे।”
आगामी राजनीतिक प्रभाव
यह घटना स्थानीय राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर सकती है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि डॉक्टर पंत की वापसी नहीं होती है, तो वे व्यापक विरोध करने के लिए तैयार हैं। यह मामला न केवल स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगा, बल्कि आगामी चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
सामाजिक प्रभाव
यह विरोध सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि क्षेत्र के पशुपालन और स्वास्थ्य सेवाओं से भी जुड़ा हुआ है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि स्थानीय स्तर पर सही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं होंगी, तो उनका व्यवसाय और जीवन प्रभावित होगा। डॉ पंत की वापसी की मांग के साथ, ग्रामीणों ने यह संदेश दिया है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं और उनकी आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
चोरगलिया के इस विरोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्थानीय विधायक को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीरता से ध्यान देना होगा। यदि वे अपनी जनता की समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं, तो उन्हें भविष्य में और बड़े आंदोलनों का सामना करना पड़ सकता है।
इस प्रकार, चोरगलिया का यह विरोध न केवल वर्तमान राजनीति के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह आने वाले चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ग्रामीणों की एकजुटता ने यह दिखा दिया है कि वे अपनी मांगों को लेकर सजग और सक्रिय हैं, और वे किसी भी स्थिति में अपनी आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।