– तीन साल बाद प्रोफेसर बाइज्जत बरी, विशेष न्यायाधीश पॉक्सो नंदन सिंह ने छात्रा और पुलिस पर की सख्त टिप्पणी
Professor caught in POCSO Act acquitted, DDC : बात मानने से इंकार करने पर एक नाबालिग छात्रा ने हल्दूचौड़ स्थित लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के प्रोफेसर को छेड़छाड़ और पॉक्सो में फंसा दिया। पुलिस ने भी आनन-फानन में मुकदमा दर्ज कर लिया। बगैर जांच प्रोफेसर को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। न्यायालय में आरोप गलत पाए गए तो विशेष न्यायाधीश पॉक्सो नंदन सिंह ने छात्रा और जांच करने वाले दरोगा के खिलाफ सख्त टिप्पणी की।
जीके गौतम नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ स्थित लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। महाविद्यालय में बीए द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा ने प्रोफेसर पर गंभीर आरोप लगाए। छात्रा के पिता की तहरीर पर लालकुआं पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ 24 सितंबर 2021 को धारा 354 क व 354 ग और पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। उसी दिन गिरफ्तारी भी कर ली। प्रोफेसर को जेल भेज दिया गया। प्रोफेसर की ओर से पैरवी कर रहे हल्द्वानी बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव राजन सिंह मेहरा ने बताया, वर्ष 2021 में लॉकडाउन लगा था।
महाविद्यालय ने छात्रों से कहा, वह मेल पर 15 सितंबर 2021 तक और 20 व 21 सितंबर को स्वयं उपस्थित होकर महाविद्यालय में एसाइनमेंट जमा कर सकते हैं, लेकिन आरोप लगाने वाली छात्रा ने एसाइनमेंट जमा नहीं किया। तिथि निकल जाने के बाद छात्रा प्रोफेसर पर एसाइनमेंट जमा करने का दबाव बनाया। प्रोफेसर नहीं माने तो उनके खिलाफ मुकदमा लिखा दिया और फोन पर अश्लीलता का आरोप लगा दिया। छात्रा की ओर प्रस्तुत साक्ष्य प्रोफेसर पर लगे आरोप साबित नहीं कर पाए। जिस आधार पर विशेष न्यायाधीश पॉक्सो नंदन सिंह द्वारा अभियुक्त को दोष मुक्त कर दिया।
छात्रा और विवेचक के लिए न्यायालय की टिप्पणी
छात्रा के जिस मोबाइल पर प्रोफेसर की बात हुई पुलिस ने उसे भी अपने कब्जे में नहीं लिया। दोनों के बीच हुई बातचीत को पेन ड्राइव में कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। फिर विवेचक ने भी मान लिया कि पेन ड्राइव में मौजूद बातचीत से छेड़छाड़ की जा सकती है। रिकॉर्डिंग में अश्लील वार्तालाप और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पीड़िता के साथ कोई घटना नही पाई गई। इस पर न्यायालय ने विवेचक उप निरीक्षक गुरमिंदर सिंह व उप निरीक्षक रजनी आर्य पर सख्त टिप्पणी की।
कहा, मोबाइल में अभियुक्त ने अश्लील बातें नहीं की, बावजूद इसके गिरफ्तारी की गई। न्यायालय ने माना दोनों उपनिरीक्षक की भूमिका संदेहास्पाद है। साथ ही कहा, छात्र का अपने शिक्षक के प्रति बिना कारण इस तरह का आरोप लगाना सभ्य समाज के लिए घातक है। केवल पीड़िता द्वारा महाविद्यालय द्वारा दिए गए समय के अवधि में असाइनमेंट जमा ना करने को लेकर झूठे तथ्यों के आधार पर प्रोफेसर जयचंद गौतम पर आरोप लगाना सभ्य समाज के लिए घातक है।