– मंडलायुक्त की जन सुनवाई में सामने आया लैंड फ्रॉड का मामला
Land fraud in Haldwani, DDC : नैनीताल जिले के बसगांव में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जहां उस जमीन का सौदा कर दिया गया, जिसका मालिक 70 साल से किसी को दिखाई ही नही दिया। लावारिस पड़ी जमीन का जालसाजों ने जाली कागजात से 14 लाख में सौदा कर दिया। मामला मण्डलायुक्त की जनसुनवाई में तब खुला, जब एक स्थानीय निवासी ने इस संदिग्ध सौदे की शिकायत की।
मामला कैसे सामने आया
स्थानीय निवासी मनोज सिंह ने बताया कि उसने मुरलीधर जोशी और जयकिशन जोशी से लगभग 13 नाली 7 मुट्ठी भूमि खरीदी। मनोज ने स्पष्ट किया कि उसने कभी भी इस जमीन के असली मालिक से मुलाकात नहीं की। उसने रजिस्ट्री के लिए इन व्यक्तियों से 16 अगस्त को नैनीताल के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में मुलाकात की, जहां उन्होंने रजिस्ट्री में 14 लाख रुपये का चेक प्रस्तुत किया। लेकिन गांव के लोगों का कहना है कि जिन व्यक्तियों के नाम पर भूमि दर्ज है, उन्हें पिछले 70 वर्षों में कभी नहीं देखा गया।
फर्जी दस्तावेजों की जांच
मामले की गहराई में जाने के लिए मंडलायुक्त दीपक रावत ने रजिस्ट्री में प्रस्तुत किए गए आधार कार्डों की जांच कराने का निर्देश दिया। ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर द्वारा की गई जांच में दोनों के आधार कार्ड नंबर फर्जी पाए गए। इसके अतिरिक्त, मनोज द्वारा रजिस्ट्री में दिए गए मोबाइल नंबर भी संदिग्ध निकले, जो हरीश पांडेय नामक एक अन्य व्यक्ति के नाम पर था। इससे स्पष्ट होता है कि इस सौदे में गहरी धोखाधड़ी की गई है।
लैंड फ्रॉड समिति में मामला
मंडलायुक्त ने मामले को लैंड फ्रॉड समिति में भेजने और इसकी गहन जांच-पड़ताल की बात कही है। यह कार्रवाई इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है, क्योंकि ऐसे फर्जी सौदे न केवल वित्तीय धोखाधड़ी हैं, बल्कि यह भूमि के असली मालिकों के अधिकारों का भी उल्लंघन करते हैं।
विदेश भेजने के नाम पर ठगी
इसी दिन एक और धोखाधड़ी का मामला भी सामने आया। पिथौरागढ़ थल के निवासी अशोक ने बताया कि उसने एक व्यक्ति, गुरजिंदर सिंह, से मिलकर विदेश भेजने का वादा किया। इसके लिए गुरजिंदर ने अशोक से 1.73 लाख रुपये लिए, लेकिन उसे मॉस्को नहीं भेजा। इस मामले में भी गुरजिंदर ने जनसुनवाई के दौरान अपनी गलती स्वीकार की और मौके पर अशोक को 40 हजार रुपये लौटाने का आश्वासन दिया।
ओवरलोडिंग पर कार्रवाई
इसके अलावा, आयुक्त ने दो दिन पहले एमबीपीजी कॉलेज के पास एक व्यक्ति जावेद को ओवरलोडिंग के कारण पकड़ा। जावेद चार लोगों को अपनी स्कूटी पर ले जा रहा था। जब उसे रोका गया, तो पता चला कि उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन का इंश्योरेंस नहीं था। इस पर एआरटीओ ने 6000 रुपये का जुर्माना लगाया और उसकी स्कूटी एक महीने के लिए सीज कर दी।
निष्कर्ष
यह घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि प्रशासन की जनसुनवाई एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है, जो नागरिकों की समस्याओं को उजागर करने में सहायक होती है। जालसाजी और धोखाधड़ी के मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि ऐसे मामलों में प्रभावित लोगों को न्याय मिल सके। मंडलायुक्त की कार्रवाई से यह उम्मीद जगती है कि इस तरह के अपराधों पर रोकथाम हो सकेगी।