– पर्यटकों में रोमांच और भक्तों की आस्था है उत्तराखंड का पाताल भुवनेश्वर
Patal Bhubaneswar, DDC : पाताल भुवनेश्वर एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक स्थल है, जो उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। यह स्थल एक गुफा के रूप में धरती के नीचे है, जिसे हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। गुफा का नाम ‘पाताल भुवनेश्वर’ इसलिए पड़ा क्योंकि इसे पाताल (अर्थात, धरती के नीचे का क्षेत्र) और भुवनेश्वर (अर्थात, भगवान शिव का निवास) के संयोजन से जोड़ा गया है। यह स्थान भगवान शिव के पूजन के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ की गुफाओं में शिव, विष्णु, ब्रह्मा और अन्य देवी-देवताओं की अद्भुत मूर्तियाँ पाई जाती हैं। पांच पांडवों का भी इस गुफा से सम्बंध है और पर्यटकों के लिए ये रोमांचकारी व भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।
इतिहास
पाताल भुवनेश्वर गुफा का इतिहास प्राचीन है, और यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में वर्षों से प्रतिष्ठित रहा है। मान्यता है कि यह गुफा स्वंय भगवान शिव के द्वारा बनाई गई थी और यहाँ शिव ने भगवान विष्णु से संवाद किया था। यह गुफा कई धार्मिक कथाओं और पुरानी किवदन्तियों का हिस्सा रही है। प्राचीन काल में यह गुफा साधकों और तपस्वियों के लिए ध्यान और साधना का स्थान रही है।
भगवान शिव और भगवान विष्णु की कथा
पाताल भुवनेश्वर गुफा को लेकर एक प्रमुख किवदन्ती है कि यह गुफा भगवान शिव और भगवान विष्णु के बीच एक संवाद स्थल रही थी। कहा जाता है कि यहाँ भगवान विष्णु और शिव ने एक-दूसरे से ब्रह्मा द्वारा रचित संसार के रहस्यों के बारे में बातें की थीं।
पाताल का अवतरण
एक और किवदन्ती के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर गुफा में भगवान शिव का वास होने के कारण इसे पाताल (अधोस्थान) और भुवनेश्वर (स्वर्ग) का मिलन स्थल माना जाता है। यहाँ शिव के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन होते हैं, जो इस स्थान की महिमा को और बढ़ाते हैं।
लक्ष्मी-नारायण का दर्शन
कुछ पुरानी किवदन्तियों के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर में भगवान विष्णु और लक्ष्मी का विशेष स्थान है, और यहां भक्तों को उनके दर्शन भी होते हैं। यह गुफा धार्मिक रूप से भी एक पवित्र स्थान मानी जाती है।
मान्यताएँ : भगवान शिव का वास
पाताल भुवनेश्वर में भगवान शिव का वास माना जाता है। यह गुफा विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण स्थल है, जहाँ भक्तों को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
पवित्र तीर्थ
इस स्थल को एक पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है, जहां कई लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। गुफा के भीतर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो उनके दर्शन से भक्तों को मोक्ष प्राप्ति की उम्मीद होती है।
पवित्र जल स्रोत
गुफा में एक जल स्रोत भी है, जिसे विशेष रूप से शुद्धता और पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह जल एक खास मान्यता से जुड़ा हुआ है और भक्त इसे बहुत श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।
पाँच पांडव और पाताल भुवनेश्वर
पाताल भुवनेश्वर गुफा को लेकर एक दिलचस्प किवदंती जुड़ी हुई है, जिसमें पांच पांडवों का संदर्भ आता है। भारतीय महाकाव्य *महाभारत* के अनुसार, पांडवों को वनवास के दौरान कई कठिन परीक्षाओं और धार्मिक स्थलों का सामना करना पड़ा था। पाताल भुवनेश्वर भी उन स्थानों में से एक है, जो पांडवों से जुड़ा हुआ है।
किवदंती
किवदंती के अनुसार, जब पांडवों का वनवास समाप्त हो चुका था और वे अपने राज्य लौटने के लिए मार्ग पर थे, तब वे पाताल भुवनेश्वर की गुफा में गए थे। यहां उन्होंने भगवान शिव की पूजा की और गुफा में एक अद्भुत दिव्य दर्शन का अनुभव किया। पाताल भुवनेश्वर में स्थित गुफाओं में भगवान शिव के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं, और यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक पवित्र माना जाता है।
यह भी कहा जाता है कि पांडवों ने यहां के वातावरण में साधना की और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान पांडवों के लिए मोक्ष प्राप्ति का भी स्थल था, जहाँ उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में भगवान शिव की उपासना की।
पाताल भुवनेश्वर और पांडवों का संबंध
पाताल भुवनेश्वर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इस कारण भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह स्थल महाभारत के पांडवों से जुड़ा हुआ है। गुफा के अंदर पाए जाने वाले अद्भुत शिल्प और मूर्तियाँ पांडवों के काल से संबंधित हो सकती हैं, जो इस स्थान को और भी रहस्यमय और आकर्षक बनाती हैं।
यह मान्यता भी है कि पाताल भुवनेश्वर में आने वाले भक्तों को पांडवों की तरह दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे अपने पापों से मुक्ति पाते हैं।