– 1 मई से जेल में बंद है 73 साल का उस्मान, अब हाईकोर्ट से लगाएगा जमानत की गुहार
Usman Ali’s bail plea rejected, DDC : उत्तराखंड के नैनीताल में महज 12 साल की बच्ची से दुष्कर्म का आरोपी 73 वर्षीय उस्मान अली बीती 1 मई से हल्द्वानी उप कारागार में कैद है। उसकी जमानत याचिका पर मंगलवार को जिला पॉक्सो कोर्ट में सुनवाई की गई। आरोपी की अधिवक्ता ने जमानत देने के लिए कई आधार पेश किए, लेकिन बेहद संगीन अपराध और पीड़िता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता की दलीलों को सुनते हुए कोर्ट ने जमानत याचिक खारिज कर दी। आरोपी उस्मान अली अब जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।
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14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था जेल
12 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म की ये घटना 12 अप्रैल की है और जब 30 अप्रैल को मामला खुला तो नैनीताल में बवाल मच गया। 1 मई को भारी बवाल के बीच उस्मान अली को गिरफ्तार किया गया। बेस अस्पताल में उसका मेडिकल कराया गया और जिला पॉक्सो कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। इस मामले में आरोपी की ओर से जमानत याचिका लगाई गई, जिस पर 17 मई को सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई टल गई और 20 मई की तारीख दी गई।
दलील, जनता के दबाव में बनाया झूठा आरोपी
20 मई को आरोपी का पक्ष रखते हुए उसकी अधिवक्ता ने दलील दी कि अभियुक्त को झूठा फंसाया गया। घटना 12 अप्रैल की थी और मुकदमा 30 अप्रैल को दर्ज कराया गया। पीड़िता की आयु पर भी संदेह है। अभियुक्त सभ्रांत व्यवसायिक ठेकेदार है, जिसे जनता के दबाव में झूठा आरोपी बनाया गया है, जिससे उसकी ख्याति को प्रभावित किया जा सके। अभियुक्त दर्ज पते का स्थाई निवासी है और उसके भागने का कोई अंदेशा नहीं है। ऐसे में उसे जमानत दी जाए।
दलील, अभियुक्त पहुंच वाला व्यक्ति, भाग सकता है
वहीं अभियोजन ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि अभियुक्त ने 12 वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म जैसा घिनौना अपराध किया है। उसने बच्ची को जान से मारने की धमकी है। चिकित्सीय परीक्षण में भी पीड़िता ने यह बताया है कि उसका मुंह कपड़े से बंद कर, चाकू दिखाकर उस्मान ने दुष्कर्म किया है। अभी कई साक्ष्यों की रिपोर्ट आनी बाकी है और मामला विवेचाधीन है। अभियुक्त एक पहुंच वाला व्यक्ति है, ऐसे यदि जमानत दी जाती है तो साक्ष्य प्रभावित किए जाने की आशंका है।
निर्णय, संगीन अपराध के आरोपी को नही मिल सकती जमानत
दोनों पक्षों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश पॉक्सो सुधीर तोमर की अदालत ने आरोपी की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि आरोपी ने 12 वर्षीय नाबालिग के साथ संगीन अपराध किया है। पीड़िता की ओर से एडीजीसी हेमा सुयाल और अभियोजन अधिकारी दीपा रानी ने पैरवी की।