– चोरगलिया पुलिस पर गंभीर आरोप, मृतक की पत्नी ने एसएसपी से की शिकायत
Gave life because of police, DDC : मित्र पुलिस का दंभ भरने वाली पुलिस की कारगुजारी ने नैनीताल जिले में एक व्यक्ति की जान ले ली। इस व्यक्ति की पत्नी को एक मैनेजर छेड़ रहा था, कभी कार्यस्थल पर था तो कभी घर में घुसकर। महिला ने पति को बताया और पति कार्रवाई के लिए चोरगलिया पुलिस के पास पहुंचा। पुलिस ने पीड़ित को थाने से दुत्कार कर भगा दिया। ग्लानि और न्याय न मिलने पर व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। मृतक की पत्नी ने मामले में नैनीताल के एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा से शिकायत की है।
कार्रवाई के बजाय बनाया राजीनामे का दबाव
हल्द्वानी के गौलापार स्थित ग्राम उदयपुर रैक्वाल नीतू शर्मा पत्नी स्व. गिरीश शर्मा ने एसएसपी को बताया, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक का मैनेजर उनके साथ छेड़खानी करता है। वह विरोध करतीं तो उल्टा एससी केस में फंसाने की धमकी देता है। इस मामले में छह सितंबर को उन्होंने चोरगलिया थाने में आरोपी रोहित टम्टा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन मुकदमा दर्ज हुआ। उल्टा मेरे परिवारवालों को अपने स्टाफ व अन्य माध्यमों से राजीनामा करने का दबाव डलवाया जा रहा है। इससे क्षुब्ध होकर दिनांक बीती चार सितंबर को उनके पति गिरीश ने आत्महत्या कर ली थी।
सिपाही बोला, अपनी पत्नी नहीं संभाल पा रहा
पीड़िता पर भी रोहित टम्टा के खिलाफ छेड़खानी करने, घर में घुसकर छेड़खानी करने संबंधी आरोपों को प्रार्थना पत्र से हटाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। पीड़िता का कहना है कि जब मैंने पति को रोहित टम्टा द्वारा मेरे साथ छेड़खानी व अनचाहे कॉल करने के बारे में बताया तो मेरे पति चोरगलिया थाने ने रोहित टम्टा की शिकायत करने गये थे। थाने में किसी भारत नाम के सिपाही ने यह कहकर भगा दिया कि ‘ऐसी फर्जी रिपोर्ट लेकर थाने आ गया, अपनी पत्नी संभाल नहीं पा रहा है।
‘पुलिस सुनती तो जिंदा होते मेरे पति’
यह बात मेरे पति ने घर आकर मुझे बताई थी कि पुलिसवाले कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। पीड़िता का कहना है कि अगर उस समय चोरगलिया पुलिस ने कार्रवाई की होती तो आज मेरे पति जिन्दा होते। मेरे व मेरे पति के साथ हुई घटना के बारे में छह सितंबर को थाना चोरगलिया में दिये गये प्रार्थना पत्र तत्काल मुकदमा दर्ज कराये जाने की कृपा करें।
थानाध्यक्ष और सिपाही पर कार्रवाई की मांग
साथ ही मांग की कि थाने में तैनात ऐसे थानाध्यक्ष और सिपाही जो पीडितों की सुनवाई न कर उन्हें प्रताडित करने का काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ तुरन्त कड़ी कार्यवाही करे। अन्यथा क्षेत्र की जनता के साथ विशाल जन-आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस प्रशासन की होगी ।