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नैनीताल में वन पंचायत की भूमि डकार गए माफिया, जिसने शिकायत की उसी पर हुआ मुकदमा

सूपी वन पंचायत की भूमि पर बना बहुमंजिला भवन।

– पुलिस से लेकर कमिश्नर तक शिकायत पर नहीं हुई सुनवाई, अब मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से की शिकायत

Forest Panchayat land captured in Nainital, DDC : नैनीताल जिले में वन पंचायत की 1000 नाली भूमि को भू-माफिया ने कब्जा लिया। उस पर रिसॉर्ट, कॉलोनी और बहुत कुछ बना डाला। भूमि को माफिया से बचाने की एक व्यक्ति ने कोशिश की तो मुक्तेश्वर थाना पुलिस ने उसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। वन विभाग और पुलिस से लेकर मंडलायुक्त तक से शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई तो पीड़ित ने अब मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से दखल की मांग की है।

दूसरे गांव में दर्ज कर दी वन पंचायत भूमि
रामपुर रोड टीपीनगर स्थित पालम सिटी में रहने वाले हिशांत ने बताया कि पूरा मामला 1000 नाली भूमि से जुड़ा है। नैनीताल और धारी तहसील की सीमा वाली ये भूमि सूपी वन पंचायत में थी, लेकिन भू-माफिया ने अधिकारियों से सांठ-गांठ कर इस 1000 नाली भूमि को धारी के ग्राम बना में दिखा दी। अब कागजों में यह भूमि बना है। जबकि वन पंचायत की यह भूमि बंदोबस्ती के नक्शे में सूपी वन पंचायत में दर्ज है।

हाईकोर्ट के आदेश पर हुआ था सीमांकन
वर्ष 2004-05 के दरम्यान हाईकोर्ट ने बंदोबस्ती के नक्शे के आधार पर सीमांकन के आदेश दिए थे। एक साल तक तत्कालीन जिलाधिकारी ने सीमांकन नहीं कराया और जब दबाव पड़ा तो सीमांकन दूसरे गांव से दिखा दिया। हितांश ने मामले में हस्तक्षेप किया और जब अधिकारियों से शिकायत की तो भू-माफिया इनके पीछे पड़ गए। मामला मुक्तेश्वर थाने तक पहुंच गया।

हितांश ने हाथ-पैर जोड़ कर बचाई जान
मुक्तेश्वर थाने में शिकायत करने पर 30-40 लोगों ने हितांश को घेर लिया। बमुश्किल उन्होंने हाथ-पैर जोड़ कर अपनी जान बचाई, लेकिन अपने मुद्दे से नहीं डिगे। उन्होंने धारी तहसील से लेकर वन विभाग, जिलाधिकारी, मंडलायुक्त तक साक्ष्य के साथ शिकायतें की, लेकिन बात नहीं बनी। उल्टा मुक्तेश्वर थाने से उनके ऊपर शांतिभंग की कार्रवाई कर दी गई।

हितांश ने बताया कि अब उन्होंने इसकी शिकायत मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से की है। आरोपियों पर कार्रवाई और उनके खिलाफ मामला दर्ज करने वाले मुक्तेश्वर थानध्यक्ष पर कार्रवाई की मांग की है। सालों से वन पंचायत की भूमि बचाने में जुटे हितांश के सामने ही संबंधित भूमि पर सीसीरोड, पानी की कई टंकी, कई मंजिला मकान, रिजॉर्ट और होमस्टे बन गए। लोगों ने अपने निजी बगीचे बना लिए और अधिकारी मौन सहमति देते रहे।

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