– बुधवार को बस्तर के अबूझमाड़ के जंगल में हुई मुठभेड़, नक्सलियों का चीफ था राजू
Naxal Encounter, DDC : लाल आतंक के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन बस्तर के अबूझमाड़ के जंगलों में चलाया गया। बुधवार को जवानों ने डेढ़ करोड़ के इनामी नक्सली नंबाला केशव उर्फ बसव राजू को उसके 27 साथियों के साथ मौत के घाट उतार दिया। नंबाला केशव उर्फ बसव राजू नक्सलियों का चीफ और नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का जनरल सेक्रेटरी था। यह पद नक्सल संगठन में सबसे बड़ा पद है। नक्सल इतिहास में पहली बार संगठन के इतने बड़े पद पर बैठा कोई शख्स मारा गया है।
50 नक्सलियों में से 27 मारे गए
बसव राजू के साथ 27 और नक्सली इस मुठभेड़ में मारे गए हैं। सभी के शव बरामद हो चुके हैं और उन्हें जिला मुख्यालय लाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि फोर्स ने सटीक सूचना के आधार पर दो दिन पहले ऑपरेशन लांच किया था। दो दिन तक अबूझमाड़ के जंगल में जवान सर्चिंग करते रहे। बुधवार सुबह अबूझमाड़ के बोटेर में टॉप नक्सल लीडर समेत नक्सलियों की मौजूदगी के इनपुट के आधार पर फोर्स बोटेर की तरफ बढ़ी।
फोर्स को आगे बढ़ता देख नक्सलियों ने जंगल की आड़ लेकर फायरिंग शुरू कर दी। फोर्स ने भी जवाबी फायरिंग की। करीब तीन घंटे तक दोनों तरफ से फायरिंग होती। बताया जा रहा है कि करीब 50 नक्सलियों का जमावड़ा था। 27 नक्सलियों को ढेर करने में फोर्स को सफलता मिली है। इस मुठभेड़ में डीआरजी का एक जवान भी शहीद हुआ है। साथ ही एक जवान घायल भी है।
एक बसव राजू को 13 नाम से जाना जाता था
बसव राजू को नक्सलियों की सैन्य इकाई का आधार माना जाता है। वह नक्सल संगठन के लिए इतना अहम था कि उसके 13 उपनाम थे। वह हर अलग इलाके में अलग नाम से जाना जाता था। नंबल्ला केशव राव, कृष्णा, विनय, गंगन्ना, प्रकाश, विजय, केशव, बीआर, उमेश, राजू, दारापु नरसिम्हा रेड्डी और नरसिम्हा के नाम से भी जाना जाता था।
इंजीनियर से कैसे बना टॉप नक्सल लीडर
बसव राजू का जन्म 60 के दशक में आंधप्रदेश के जियान्नापेट, कोटाबोम्माली, श्रीकाकुलम में हुआ था। वह एक सामान्य तेलुगु परिवार में जन्मा था। घर में अभाव के चलते उसके मन में कुछ बड़ा करने की चाह थी। इसी वजह से उसने वारंगल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और वहां से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। बताया जाता है कि पढ़ाई के दौरान ही वह कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आ चुका था जो उसे नक्सल आंदोलन के लिए प्रेरित कर रहे थे। उसने 1980 में नक्सल संगठन ज्वाइन किया।
इसके बाद वह आंध्र और छत्तीसगढ़ में अलग-अलग पदों पर रहा। 2004 में वह नक्सलियों की मिलिट्री कमेटी का हेड बना। 2018 तक वह इस पद पर रहा। 2018 में जब सेंट्रल कमेटी जनरल सेक्रेटरी मुपल्ला लक्षमण राव उर्फ गणपति ने संन्यास की घोषणा की तो बसवा राजू को संगठन ने इस पर नियुक्त किया। नक्सल संगठन में यह सबसे बड़ा पद होता है।
चार जिलों के जवानों ने ऑपरेशन को अंजाम दिया
नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र के माड़ डिवीजन में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर डीआरजी नारायणपुर, डीआरजी दंतेवाड़ा, डीआरजी बीजापुर और डीआरजी कोंडागांव के संयुक्त दल को ऑपरेशन पर रवाना किया गया था। पिन प्वाइंट सूचना के आधार पर ऑपरेशन लॉन्च हुआ और बसवा राजू जैसे बड़े लीडर को ढेर करने में सफलता मिली।
एनआईए के दो मामलों में मोस्ट वांटेड था
बस्तर में इस वक्त एनआईए नक्सल हमलों की जांच कर रही है। उनमें से दो मामलों में वह एनआईए का मोस्ट वांटेड था। उसके खिलाफ एनआईए ने 2012 और 2019 में दो एफआईआर दर्ज की थी। 2019 की घटना में पांच जवानों को आईडी ब्लास्ट के जरिए मारने का आरोप था।
वर्ष नक्सली मारे गए
2020 44
2021 48
2022 31
2023 57
2024 247
2025 146 अभी तक
2025 की नक्सली घटनाएं
– 21 मई को नारायणपुर में 27 नक्सली ढेर, 1 करोड़ का इनामी बसवा राजू भी मारा गया।
– 14 मई को कुर्रेगुट्टा पहाड़ पर चला देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 31 नक्सली ढेर।
– 10 फरवरी को बीजापुर 31 नक्सली ढेर, इनमें 11 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल।
– 2 फरवरी को बीजापुर के गंगालूर में मुठभेड़, 8 नक्सली ढेर।
– 20-21 जनवरी को गरियाबंद जिले में मुठभेड़, 16 नक्सलियों के शव बरामद।
– 16 जनवरी को छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर, कांकेर पुजारी गांव में 18 नक्सली ढेर।
– 12 जनवरी को बीजापुर के मद्देड़ इलाके में मुठभेड़, 2 महिला नक्सली समेत 5 नक्सली ढेर।
– 9 जनवरी को सुकमा-बीजापुर बॉर्डर में 3 नक्सली ढेर।
– 6 जनवरी को आईडी ब्लास्ट की चपेट में जवानों की गाड़ी आई, 8 जवान शहीद, एक ड्राइवर की भी मौत।
– 4 जनवरी को अबूझमाड़ के जंगल में मुठभेड़, एक महिला नक्सली समेत 5 नक्सली ढेर, एक डीआरजी जवान शहीद।