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महाकुंभ 2025 : हर्षा रिछारिया का भावुक वीडियो, रो-रोकर संत पर लगाए गंभीर आरोप
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महाकुंभ 2025 : हर्षा रिछारिया का भावुक वीडियो, रो-रोकर संत पर लगाए गंभीर आरोप

– कुंभ के पुण्य को लेकर हर्षा रिछारिया का तीव्र आक्रोश, रोते हुए लगाई आरोपों की झड़ी 

Harsha Richariya, DDC :  महाकुंभ 2025 में अब तक कई चर्चाएं हो चुकी हैं, लेकिन इस बार चर्चा का केंद्र बनी हैं हर्षा रिछारिया। हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे फूट-फूट कर रोती हुई दिखाई दे रही हैं। वीडियो में हर्षा का कहना है कि एक संत ने उन्हें महाकुंभ में रुकने की अनुमति नहीं दी। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर सनसनी मचा दी है, और हर्षा ने इसके बाद महाकुंभ छोड़ने का ऐलान भी किया है।

हर्षा रिछारिया, जो खुद को निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंदगिरि जी महाराज की शिष्या बताती हैं, ने एक संत पर गंभीर आरोप लगाए। वे कहती हैं कि उन्होंने धर्म को समझने और सनातन संस्कृति से जुड़ने के लिए महाकुंभ में आने का निश्चय किया था, लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें यह मौका नहीं दिया।

स्वामी आनंद स्वरूप पर गंभीर आरोप: कुंभ छोड़ने के लिए दबाव डालने का दावा 
वीडियो में हर्षा रिछारिया फूट-फूट कर रोते हुए कहती हैं, “शर्म आनी चाहिए कि एक लड़की जो धर्म से जुड़ने आई थी, धर्म को समझने आई थी, सनातन संस्कृति को समझने आई थी, उसे इस लायक नहीं छोड़ा गया कि वह पूरे कुंभ में रुक पाए।” उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन का पुण्य उन्हें एक इंसान ने छीन लिया। हर्षा का आरोप है कि शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी ने उन पर दबाव डाला कि वह कुंभ छोड़ दें।

हर्षा का कहना है कि उन्होंने महाकुंभ में पूरे 24 घंटे रहने का मन बनाया था, लेकिन इस प्रकार के व्यवहार ने उन्हें कुंभ छोड़ने के लिए विवश कर दिया। वे कहती हैं, “यहां कुछ लोगों ने मुझे धर्म से जुड़ने का मौका नहीं दिया, संस्कृति में रमने का अवसर नहीं दिया।” इसके साथ ही हर्षा ने यह भी बताया कि जब वे महाकुंभ में पूरी निष्ठा से रहना चाहती थीं, तब उन्हें इस कॉटेज में बंधकर महसूस हो रहा है कि उन्होंने कोई बड़ा अपराध कर दिया है।

स्वामी आनंद स्वरूप का बयान: धर्म को प्रदर्शन से जोड़ना खतरनाक 
हर्षा रिछारिया जिस संत पर आरोप लगा रही हैं, वह कोई और नहीं, बल्कि शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी हैं। कुछ दिनों पहले, स्वामी आनंद स्वरूप ने हर्षा के निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के दौरान रथ पर बैठने को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि धर्म का प्रदर्शन करना खतरनाक हो सकता है और इससे समाज में गलत संदेश फैल सकता है।

स्वामी आनंद स्वरूप ने यह भी कहा कि यदि साधु-संतों ने इसे रोकने की कोशिश नहीं की, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि धर्म के इस तरह के प्रदर्शन से श्रद्धालुओं की आस्था कमजोर हो सकती है। उनका मानना था कि साधु-संतों को त्याग की परंपरा का पालन करना चाहिए, न कि भोग की। स्वामी आनंद स्वरूप का यह बयान विवादों में घिर गया था, क्योंकि उन्होंने हर्षा के रथ पर बैठने की योजना को समाज में गलत संदेश देने वाला बताया था।

महाकुंभ में धर्म और संस्कृति का मुद्दा: आगे क्या होगा?
हर्षा रिछारिया और स्वामी आनंद स्वरूप के बीच यह विवाद महाकुंभ 2025 में एक नया मोड़ ला चुका है, जिसमें धर्म, संस्कृति और व्यक्तिगत अधिकारों के सवाल उठ रहे हैं। महाकुंभ का आयोजन हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में से एक है, जहां लाखों श्रद्धालु और साधु-संत अपनी आस्था व्यक्त करने आते हैं।

इस मामले ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या महाकुंभ में किसी व्यक्ति को अपनी आस्था और धार्मिक अनुभव को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अधिकार है? हर्षा रिछारिया की स्थिति पर विचार करते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उन्हें कुंभ में रहने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। इसके साथ ही, यह भी सवाल उठता है कि क्या इस विवाद के कारण महाकुंभ के धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों पर कोई प्रभाव पड़ेगा।

समाप्त होते-होते यह कहना होगा कि महाकुंभ 2025 में यह घटना एक बड़ा विवाद बन चुकी है, और सभी की नजरें अब इस पर हैं कि इस विवाद का समाधान कैसे होता है। क्या हर्षा रिछारिया को कुंभ में वापस लौटने की अनुमति मिलेगी, या उनका कदम महाकुंभ के भविष्य के लिए एक उदाहरण बनेगा? इस सवाल का जवाब समय ही देगा।

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