Breaking News
स्कूल में 7 बच्चों पर 7 शिक्षक, 10वीं का इकलौता छात्र ’10वीं फेल’
बनभूलपुरा में घर-घर सर्च, कहीं बंटती मिली बिजली तो कहीं ताले में मिले किराएदार
आंखों के सामने खाक हुई गृहस्थी, आग बुझाने में झुलस गया किसान
बाइक पर नाबालिग भतीजे ने भरी रफ्तार, चाचा पर दर्ज FIR
12 साल की बच्ची का दुष्कर्मी 72 साल का उस्मान पहुंचा सलाखों के पीछे, हल्द्वानी में पिटते बचा
मुश्ताक ने पूजा का सिर धड़ से अलग किया, लिव इन रिलेशनशिप में थे दोनों
एक कार ने टक्कर मारी दूसरी ने कुचला, अल्मोड़ा की युवती की मौत
सफदर का बगीचा में उड़ा ड्रोन, पत्थरबाजों को अल्टीमेटम
मां से साथ सोई बच्ची का अपहरण, सुबह मक्के के खेत में पड़ी मिली

हल्द्वानी में मुर्दा कर गया रजिस्ट्री पर हस्ताक्षर, बेवा अदालत की दर पर

लैंड फ्रॉड

– अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर मुकदमा, मामले की जांच में जुटी पुलिस

Land fraud, DDC : एक आदमी, जिसकी मौत हो गई, लेकिन उसकी मौत के लगभग एक साल बाद उसके नाम पर दर्ज जमीन बिक जाती है। जमीन बेचने वाला भी कोई और नहीं बल्कि वो है, जिसकी एक साल पहले मौत हो चुकी है क्योंकि रजिस्ट्री में जहां बेचने वाले का नाम होता है, वहां मुर्दे के हस्ताक्षर थे। हालांकि मुर्दा हस्ताक्षर करे तो बात गले नहीं उतरती और उस बेवा के गले भी नहीं उतरी, जिसके पति के नाम पर जमीन थी। अब अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर हल्द्वानी थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

गौजाजाली उत्तर निवासी नाजुक जहां पत्नी मो. राशिद ने मोहन सिंह सम्मल, निर्मला सम्मल, देव सिंह और सत्यम बिष्ट पर धोखाधड़ी, षड्यंत्र और फर्जी दस्तावेजों के जरिए उनकी संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया है। नाजुक जहां के अनुसार मो. राशिद ने वर्ष 2002 में ग्राम मानपुर उत्तर, रामपुर रोड में जमीन खरीदी थी। 29 मई 2022 को मो. राशिद का निधन हो गया, लेकिन इसके 353 दिन बाद आरोपियों ने 10 अप्रैल 2023 को एक फर्जी मुख्तारनामे के आधार पर 17 मई 2023 को उक्त भूमि व दुकान को अपने नाम करा लिया और वक्त मृतक राशिद को जीवित दिखाकर उनके हस्ताक्षर भी किए गए।

नाजुक का कहना है कि जब उसके पुत्र वसीम ने विरासत के आधार पर नामांतरण के लिए तहसील में आवेदन किया तब खुलासा हुआ कि उक्त भूमि पहले ही निर्मला सम्मल के दर्ज है और यह नामांतरण 28 जून 2023 को बिना परिवार को सूचित किए कराया गया। उन्होंने तहसीलदार अदालत में आपत्ति दायर की तब 12 सितंबर 2024 को नामांतरण आदेश पर निषेधाज्ञा जारी की गई। वादिनी ने अदालत को बताया कि जब अभियुक्तों से जवाब मांगा गया तो उन्होंने फर्जी वसीयतें और इकरारनामे पेश किए, जिन पर तारीख 10 अप्रैल 2003 लिखी थी। एक ही तारीख के दस्तावेजों में एक टाइप किया गया और एक हाथ से लिखी थी, जिससे मामला संदेह के घेरे में आ गया।

पीड़िता ने थानाध्यक्ष हल्द्वानी, उपनिबंधक हल्द्वानी, तहसीलदार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी तक को शिकायतें भेजी, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। नाजुक का आरोप है कि शिकायत करने पर उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने और जान से मारने की धमकी दी जा रही है। कोतवाल राजेश कुमार यादव ने बताया कि मामले में न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top