लामाचौड़ के जंगल में दुबका था अधिवक्ता उमेश का हत्यारा भाई

– चारधाम मंदिर के पास डेढ़ की कांबिंग के बाद हत्थे चढ़ा दिनेश नैनवाल, 315 बोर का तमंचा बरामद

Advocate Umesh murder case exposed, DDC : नैनीताल जिले के मुखानी थानाक्षेत्र में चचेरे भाई अधिवक्ता उमेश नैनवाल की हत्या कर फरार दिनेश नैनवाल आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। वह जिले की सीमा से बाहर था, लेकिन परिवार से मिलने की ख्वाहिश में वह फंस गया। पुलिस से बचने के लिए वह जंगल में दुबका था। खबर मिली तो पुलिस ने कांबिंग शुरू की और हत्यारा हत्थे चढ़ गया। उसके पास से पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किया 315 बोर का तमंचा भी बरामद कर लिया है। दिनेश ने जमीनी रंजिश के पीछे हत्या की बात पुलिस के सामने स्वीकार की है।

बेटे का वीडियो बनाते समय मारी थी गोली
हत्या की यह सनसनीखेज वारदात सोमवार 7 अक्टूबर की रात घटी। पेशे से अधिवक्ता पूरनपुर नैनवाल लामाचौड़ निवासी उमेश नैनवाल सोमवार आधी रात कमलुवागांजा में आयोजित रामलीला परिवार के साथ मौजूद थे। उनका बेटा आदित्य रामलीला में परशुराम की भूमिका निभा रहा था और वहीं खड़े उमेश अभिनय का वीडियो बना रहे थे। तभी वहां उनका चचेरा भाई दिनेश नैनवाल वहां पहुंचा और चुपके से पीठ में सटाकर फायर झोंक दिया। घटना को अंजाम देने के बाद से वह फरार था।

चारधाम मंदिर के पास जंगल में दुबका था हत्यारा
बुधवार को पुलिस बहुउद्देशीय भवन में मामला का खुलासा करते हुए एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि देवपुर देवपा कमलुवागांजा मुखानी में आयोजित रामलीला में सोमवार रात अधिवक्ता उमेश नैनवाल की तमंचे से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्यारोपी उमेश का चचेरा भाई दिनेश नैनवाल था।

315 बोर का तमंचा मिला, कारतूस और नगदी भी
मंगलवार देर रात पुलिस टीम ने लामाचौड़ के चारधाम मंदिर से कुछ दूर स्थित जंगल से गिरफ्तार किया। उसे पकड़ने के लिए पुलिस करीब डेढ़ घंटे जंगल में कांबिंग करनी पड़ी। पुलिस ने आरोपी के पास से 315 बोर का तमंचा और एक कारतूस के साथ कुछ नगदी बरामद की है। एसएसपी ने गुडवर्क करने वाली टीम को ढाई हजार रुपये इनाम की घोषणा की है। खुलासे के दौरान दौरान एसपी सिटी प्रकाश चंद्र, सीओ सिटी नितिन लोहनी मौजूद रहे।

लावारिश भूमि के उपयोग पर आपत्ति बनी हत्या की वजह
पुलिस की पूछताछ में दिनेश नैनवाल ने चचेरे भाई उमेश नैनवाल की हत्या की बात स्वीकार कर ली है। पूछताछ में उसने बताया कि उसके और उमेश के बीच 18 बीघा जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। यह जमीन हेमचंद्र नैनवाल की थी। हेमचंद्र की मौत के बाद जमीन का कोई वारिस नहीं था। नैनवाल रिश्तेदारों में तय हुआ था कि लावारिश भूमि पर जनहित का कार्य किया जाएगा। स्कूल या पार्क बनाने के अलावा किसी संस्था को भी भूमि दान में दी जा सकती है, लेकिन उमेश इसके लिए राजी नहीं था। इसी वजह से मतभेद उत्पन्न हुए और गुस्से में आकर उमेश की हत्या कर दी।

टीम में यह रहे शामिल
मुखानी थानाध्यक्ष विजय मेहता, बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी, कालाढूंगी थानाध्यक्ष पंकज जोशी, एसओजी प्रभारी संजीत राठौड़, एसआई बलवंत कम्बोज, हेड कांस्टेबल ललित श्रीवास्तव, कांस्टेबल चंदन नेगी, धीरज सूगड़ा, गणेश गिरी, सुरेश देवड़ी, अनूप तिवारी, प्रवीण सिंह, जीवन कुमार, अरविंद बिष्ट और राजेश बिष्ट थे।

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