बनभूलपुरा अतिक्रमण : खाली होगी जमीन, कहीं और बसाए जाएंगे बनभलपुरा वाले

– सप्रीम कोर्ट ने कहा, अदालतें निर्दयी नही, विस्थापन से पहले पुनर्वास करें

Supreme Court’s decision on Banbhalpura encroachment, DDC : हल्द्वानी के बनभलपुरा अतिक्रमण (रेलवे भूमि प्रकरण) मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णायक फैसला आया है। 24 जुलाई को हुई सुनवाई में रेलवे भूमि खाली करने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही कहा है कि प्रभावितों के जमीन से हटाने से पहले उनके विस्थापन की योजना बनाई जाए।

कोर्ट ने दिए पुनर्वास नीति बनाने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा, अतिक्रमण करने वाले इंसान हैं। अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं, ⁠अदालतों को भी संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत है और राज्य को भी कुछ करने की ज़रूरत है। कोर्ट ने केंद्र, उत्तराखंड सरकार और रेलवे को एक बैठक बुलाने और उन परिवारों के लिए पुनर्वास नीति बनाने का आदेश दिया, जिन्हें हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से सटे भूमि से विस्थापित किया जाना है।

वंदे भारत चलाना चाहता है रेलवे
शीर्ष अदालत उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से सटे रेलवे भूमि से अनधिकृत कब्जेदारों को हटाने का निर्देश दिया गया था। रेलवे ने कहा कि ट्रैक और स्टेशन विस्तार के लिए तुरंत ज़मीन की ज़रूरत है। रेलवे की तरफ से कहा गया कि वो वन्दे भारत वहां चलाना चाहते हैं, इसको लेकर प्लेटफॉर्म को बड़ा करने की जरूरत है, ⁠इसके अलावा ट्रैक पर पानी भर जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे, उत्तराखंड और केंद्र सरकार से अधिग्रहण के लिए ज़मीन और उससे प्रभावित परिवारों की पहचान को कहा। पुनर्वास योजना बनाने भी कहा। ये पुनर्वास योजना ऐसी हो जिसमें सब सहमत हो। मामले की 11 सितंबर को अगली सुनवाई होगी।

पूरा विवाद कहां से शुरू हुआ?
2013 में एक जनहित याचिका में कहा गया कि रेलवे स्टेशन के पास गौला नदी में अवैध खनन हो रहा है। अवैध खनन की वजह से 2004 में नदी पर बना पुल गिर गया। याचिका पर कोर्ट ने रेलवे से जवाब मांगा। रेलवे ने 1959 का नोटिफिकेशन, 1971 का रेवेन्यू रिकॉर्ड और 2017 का लैंड सर्वे दिखाकर कहा कि यह जमीन रेलवे की है इस पर अतिक्रमण किया गया है।

हाईकोर्ट में साबित हो गई थी रेलवे भूमि
हाईकोर्ट में यह साबित हो गया था कि जमीन रेलवे की है। इसके बाद ही लोगों को जमीन खाली करने का नोटिस दिया गया। लोगों ने जमीन खाली करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से  इन लोगों का भी पक्ष सुनने को कहा। लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस इलाके में अतिक्रमण की बात मानी। बीते 20 दिसंबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण की बात मानते हुए इसे हटाने का आदेश दे दिया। अब इसे हटाने की तैयारी में प्रशासन जुटा है। इस बीच दो जनवरी को प्रभावितों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर आज सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया।

इस कार्रवाई से कितने लोगों पर असर पड़ता?
जिन लोगों ने अतिक्रमण नहीं हटाया उनके अतिक्रमण को तोड़ा जाना था और उसका खर्च भी अतिक्रमणकारियों से वसूलने की बात कही गई थी। इस पूरे इलाके में करीब 50 से 60 हजार लोग रहते हैं। इनमें से करीब 35 हजार लोगों के पास वोटर आईडी कार्ड है। इन लोगों का कहना है ये कई दशकों से यहां रह रहे हैं। कुछ लोगों का तो दावा है कि वो यहां 70-80 साल से रह रहे हैं।

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