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गौलापार में डेमोग्राफी बदलने का षड्यंत्र, एक मोहल्ले के तीन नाम

– किसी के आधार कार्ड में पंत फार्म, किसी में देवला तल्ला पजाया कुंवरपुर और किसी में लिखा है अंसारी कॉलोनी

Conspiracy to change demography, DDC : उत्तराखंड में नैनीताल जिले के हल्द्वानी में स्थित गौलापार की डेमोग्राफी चेंज करने का बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा है। इसका इशारा तब मिला जब ऑपरेशन सैनिटाइज की टीम गौलापार के बागजाला पहुंची। आधार कार्डों की जांच शुरू हुई तो पुलिस ने भी अपना माथा पकड़ लिया। पुलिस एक ही इलाके में ऑपरेशन कर रही थी और इस एक इलाके के तीन-तीन सुनकर वो भी पशोपेश में पड़ गई। किसी के आधार कार्ड में इसे पंत फार्म बताया गया तो कोई इसे देवला तल्ला पजाया कुंवरपुर कह रहा था, जबकि किसी के आधार कार्ड में यह इलाका अंसारी कालोनी के नाम से दर्शाया गया था।

बता दें कि नैनीताल में नाबालिग से दुष्कर्म की घटना के बाद पूरे जिले में ऑपरेशन सैनिटाइज के तहत पुलिस ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। इसी के तहत बुधवार सुबह सीओ नितिन लोहनी, सीओ सुमित पांडे और सीओ दीपशिखा अग्रवाल के नेतृत्व में दो टीमें गौलापार के बागजाला पहुंच गई। सत्यापन के साथ पुलिस लोगों के आवासीय दस्तावेज, बिजली-पानी के बिल और आधार कार्ड की जांच कर रही थी। इस क्षेत्र में समुदाय विशेष के लोगों की बड़ी और बढ़ती तादात है।

सीओ नितिन लोहनी ने लोगों के आधार कार्ड चेक करने शुरू किए। उन्होंने यहां रहने वाले मो.हनीफ का आधार कार्ड देखा तो उसने देवला तल्ला पजाया कुंवरपुर लिखा था। 5 मीटर की दूसरी पर रहने वाले फहद खान का आधार देखा तो उस पर अंसारी कालोनी लिखा। कुछ और आधार कार्ड जांचे तो उन पर पंत फार्म लिखा था। पुलिस को समझ नहीं आया कि आखिर 5 मीटर के दायरे में बने दर्जनों घरों के पते अलग-अलग कैसे हो सकते हैं।

पुलिस ने ऐसे सभी आधार कार्ड को कब्जे में ले लिया है। बड़ी बात यह है कि इन लोगों के पास मौजूद बिजली और पानी के बिलों पर पते के तौर पर या तो पंत फार्म लिखा है या फिर कुंवरपुर। सीओ नितिन लोहनी का कहना है यह गंभीर मामला है। कुछ मीटर के दायरे में मोहल्ले के अलग-अलग नाम मिले हैं। मामले की जांच न सिर्फ पुलिस कर रही है, बल्कि पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को भी सौंपी गई है।

180 लोगों की जांच, 40 के सत्यापन, कइयों के चालन
सुबह साढ़े 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक चले अभियान के दौरान पुलिस की दो टीमों में 180 लोगों की जांच की। 40 लोगों के सत्यापन किए और 12 लोगों का चालान कर 3 हजार रुपए जुर्माना वसूल किया। पुलिस की पहली टीम में सीओ नितिन लोहनी, कोतवाल राजेश यादव, एसओ नीरज भाकुनी, एसआई अरुण सिंह राणा, प्रेमा कोरंगा, कांस्टेबल योगेश कुमार, हरीश प्रसाद, दो प्लाटून पीएसी और एसएसबी। जबकि दूसरी टीम में सीओ दीपशिखा अग्रवाल, सीओ सुमित पांडे, एसओ दीपक बिष्ट, एसओ विजय मेहता, एसआई मनोज कुमार, विजय कुमार, कांस्टेबल प्रमोद कुमार, रविंद्र राणा, दो प्लाटून पीएसी और एसएसबी थी।

रडार पर आधार कार्ड बनाने वाले, संस्तुति करने वाले प्रधान भी
आधार कार्ड में संसोधन करने के लिए सरकारी दस्तावेजों की जरूरत होती है, लेकिन इन कथित इलाकों में रहने वालों ने जाने कैसे अपने आधार कार्ड में उन मोहल्लों का नाम दर्ज करा लिया, जो सरकारी कागजों में कहीं भी अंकित नहीं हैं। पुलिस के सामने सवाल है कि आखिर आधार कार्ड बनाने वालों ने बरामद आधार कार्ड कैसे बनाए। जांच के दायरे में वो प्रधान भी हैं, जो आधार कार्ड बनाने के वर्ष में उक्त क्षेत्र के प्रधान रहे होंगे या हैं। पुलिस का कहना है कि इन सभी की जांच होगी।

5 मीटर की दूरी पर दो घर और दोनों का पता एक
ऑपरेशन सैनिटाइज के दौरान पुलिस को एक चौंकाने वाला मामला मिला। सीओ नितिन लोहनी ने बताया कि शहर को अपराध मुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। अगल-बगल के घरों में अलग-अलग पते आ रहे हैं। दो एड्रेस ऐसे मिले हैं जो नजदीक में हैं। एक में हाउस नंबर 240 देवला तल्ला लिखा है और दूसरे मकान में पता 240ए देवला तल्ला लिखा है। ये दोनों मकान अलग-अलग व्यक्तियों के हैं, जिनके पिता भी एक नहीं हैं। इस दौरान तो एक महिला ने यह भी माना कि जिसे अब वो अंसारी कालोनी कहती है, पहले इसे पंत फार्म कहा जाता था।

प्राधिकरण करेगा जांच, बनाई गई एक टीम
प्रशासन अभी इस मामले में खुद कर कुछ नहीं कह रहा है, लेकिन सूत्रों का कहना है यह मामला सामने आने के बाद जांच के लिए एक टीम गठित कर दी गई है। प्राधिकरण इस मामले की जांच करेगा। देखेगा कि यह भूमि नजूल है, वन भूमि है या फिर बसे लोगों की भूमि है। यह भी कि जमीन को स्टांप पर बेचा गया या फिर किसी और तरीके से। इसके अलावा आधार कार्ड में भिन्नता कैसे है। बता दें कि यहां बड़ी संख्या में लोग बनभूलपुरा से आकर बसे हैं। एसडीएम राहुल शाह का कहना है कि पुलिस की रिपोर्ट मिलने के बाद मामले की जांच की जाएगी।

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