– शुक्रवार को खन्स्यू से स्यूड़ा स्थित घर लौट रहे थे देवेंद्र
Old man was swept away in the Bhodia drain : नैनीताल जिले में रिश्तेदार के पीपलपानी से लौट रहे बुजुर्ग देवेंद्र सिंह सम्मल शुक्रवार की मूसलाधार बारिश का शिकार हो गए थे। बारिश में उफनाए भोड़िया नाले में वह बहे देवेंद्र का दो दिन बाद रेस्क्यू शुरू हुआ। पुलिस और प्रशासन की टीम उन्हें तलाशते हुए पांचवें दिन सोमवार को गौला नदी हल्द्वानी पहुंची, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला। इधर, बेटे के बह जाने की खबर सुनकर 80 वर्षीय कमला देवी को सदमा लग गया है।
शुक्रवार को आ गए थे नाले की चपेट में
स्यूड़ा तोक गजार चौकी हैड़ाखान निवासी देवेंद्र सिंह सम्मल (60 वर्ष) पुत्र हर सिंह सम्मल यहां पत्नी राधा देवी, बेटे मनोज सिंह सम्मल व पंकज सिंह सम्मल के साथ रहते थे। देवेंद्र के छोटे भाई थान सिंह ने बताया कि बीती 11 सितंबर को वह खन्स्यू के चमोली गांव पीपलपानी में गए थे। अगले दिन से भारी बारिश शुरू हो गई। बारिश नहीं रुकी तो शुक्रवार की सुबह वह पैदल ही घर के लिए निकल पड़े और उफनाए भोड़िया नाले की चपेट में आ गए।
गांव में मातम, परिवार का रोकर बुरा हाल
दो दिन बाद पुलिस और प्रशासन की टीम ने भोड़िया नाले से रेस्क्यू शुरू किया। इससे पहले ग्रामीण तलाश में जुट चुके थे। भोड़िया नाले से उतरी टीम गौला नदी तक पहुंची और तलाश करते-करते पांचवें दिन हल्द्वानी पहुंच गई। समाजसेवा टीकम सिंह बिष्ट ने बताया कि देवेंद्र की मां कमला 80 वर्ष से अधिक हैं। पहले तो उन्हें घटना की जानकारी नहीं दी गई, लेकिन जब उन्हें पता लगा तो सदमा लग गया। वह पहले से ही बीमार है और बेटे के बह जाने की खबर सुनने के बाद बिस्तर पर पड़ गईं है। बच्चों व अन्य परिवारीजनों का भी रो-रोकर बुरा हाल है।
भाई ने लगाई थोड़ा और आगे तक सर्च की गुहार
पांचवें दिन हल्द्वानी पहुंची टीम भी देवेंद्र को तलाश कर थक चुकी है। ऐसे में देवेंद्र के छोटे भाई थान सिंह ने पुलिस, प्रशासन और क्षेत्रीय विधायक राम सिंह कैड़ा से सर्च को लालकुआं तक बढ़ाने की गुहार लगाई है। उन्होंने विधायक से फोन पर बात की और मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि सर्च टीमों को बढ़ाया जाए। ताकि किसी भी हालत में देवेंद्र को बरामद किया जा सके।
60 घंटे बाद मिला था देवेंद्र का छाता
पीपलपानी से लौट रहे देवेंद्र को गुरुवार को ही घर लौटना था, लेकिन बारिश ने उन्हें निकलने नहीं दिया। अगले दिन निकले तो नाला बहा ले गया। पुलिस, प्रशासन ने तो दो दिन बाद रेस्क्यू शुरू किया, लेकिन डेढ़ सौ से अधिक ग्रामीण खबर मिलते ही तलाश में जुट गए थे। ग्रामीणों ही नाले से होते हुए नदी तक पहुंचे और इस सर्च के दौरान करीब 60 घंटे बाद देवेंद्र का छाता बरामद हुआ।