यमुना की कोख में घोटाला, हजारों करोड़ खर्च और कोरोना में हो गई थी खुद ही साफ

– वर्ष 1948 तक स्वच्छ थी यमुना, अब आचमन लायक भी नही बची

Yamuna River, DDC : यमुना नदी, जो भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है, आज प्रदूषण और अव्यवस्था की शिकार है। दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा तक फैलती इस नदी का जल स्तर न केवल घटता जा रहा है, बल्कि इसमें गिरता प्रदूषण इस महान नदी की पहचान को खतरे में डाल रहा है। हर साल अरबों रुपये खर्च करने के बावजूद, यमुना की सफाई की दिशा में सरकारी योजनाओं की असफलता और उनका अमल कभी भी अपेक्षाकृत संतोषजनक नहीं रहा है। सीवेज, औद्योगिक कचरा, और कचरे के अंबार के बीच यमुना अब एक गंदे नाले में तब्दील होती जा रही है, और इसके लिए जिम्मेदार है वह सरकारी तंत्र जो सफाई के बड़े वादों से लेकर उन वादों को लागू करने में नाकाम रहा है। जब नदियों को बचाने के लिए पूरी सरकारी मशीनरी की कोशिशें नाकाम हो रही हैं, तो सवाल यह उठता है कि क्या हमारी सरकारों की नीतियां और उपाय, यमुना के प्रदूषण को रोकने के लिए पर्याप्त हैं, या फिर यह सिर्फ एक महज़ दिखावा है? मजे की बात तो यह है कि जहां हजारों करोड़ खर्च हो रहे हैं, वहीं कोरोना काल में यमुना खुद ही साफ हो गई थी।

1. यमुना एक्शन प्लान (YAP) – 1993

   – उद्देश्य : यमुना नदी में प्रदूषण को कम करना और जल की गुणवत्ता में सुधार करना।
कदम :
– नदी में गिरने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नाले और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना।
– पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए उपकरणों की स्थापना।
खर्च : लगभग ₹500 करोड़ (पहली योजना का कुल बजट)।

2. यमुना एक्शन प्लान फेज II (YAP II) – 2004

   – उद्देश्य : यमुना एक्शन प्लान को और प्रभावी बनाना।
कदम :
– दिल्ली और अन्य राज्यों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का विस्तार।
– नदियों में गिरने वाले औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उपाय।
खर्च : लगभग ₹1,600 करोड़ (योजना का बजट)।

3. नेशनल रिवर कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (NRCP) – 2014

   – उद्देश्य : यमुना नदी की सफाई और संरक्षण।
कदम :
– सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की क्षमता बढ़ाना।
– औद्योगिक कचरे और गंदे पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना।
खर्च : इस योजना के तहत ₹10,000 करोड़ की लागत अनुमानित की गई थी।

4. नमामि गंगे मिशन (Namami Gange Mission) – 2014

   – उद्देश्य : गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों (जिसमें यमुना भी शामिल है) की सफाई और संरक्षण।
कदम :
– गंगा और यमुना के लिए संयुक्त स्वच्छता कार्यक्रम।
– प्रदूषण नियंत्रण, सीवेज ट्रीटमेंट और पानी की गुणवत्ता में सुधार।
खर्च : ₹20,000 करोड़ से अधिक (पूरा कार्यक्रम)।

5. राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP)

   – उद्देश्य : विभिन्न नदियों की सफाई, जिसमें यमुना भी शामिल है।
कदम: सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना, नालों के निपटान के उपाय, और नदी के आसपास के क्षेत्रों में सफाई।
खर्च : ₹2,500 करोड़ (यह राशि यमुना के लिए विशेष तौर पर निर्धारित नहीं की गई थी, बल्कि अन्य नदियों के लिए भी थी)।

6. यमुना नदी संरक्षण योजना (Yamuna Action Plan – Phase III)

   – उद्देश्य : यमुना नदी की सफाई के लिए नए उपायों का अनुसरण।
कदम :
– दिल्ली में नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और नालों की सफाई।
– पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए विश्लेषणात्मक और निगरानी उपाय।
खर्च : अनुमानित ₹2,500 करोड़।

समस्याएं और चुनौतियाँ:

प्रदूषण नियंत्रण में विफलता : यमुना में प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशिशों के बावजूद, कई स्थानों पर नदी का पानी अब भी अत्यधिक गंदा है।

सीवेज और औद्योगिक कचरा : नदी में सीवेज और औद्योगिक कचरा डालने वाले नाले लगातार समस्या बने हुए हैं।

राज्य और केंद्रीय सरकारों के बीच समन्वय की कमी : यमुना की सफाई के लिए विभिन्न राज्य और केंद्रीय योजनाओं में समन्वय की कमी है।

कुल खर्च :
अब तक, यमुना नदी की सफाई और संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं में कुल मिलाकर ₹20,000 करोड़ से अधिक खर्च किए गए हैं, लेकिन नदी के प्रदूषण को पूरी तरह से नियंत्रित करना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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