– बनभूलपुरा के बाद अब शराब, चरस और स्मैक का दूसरा बड़ा ठिकाना बना गौलापार का बागजाला
अमृत विचार : शराब की अवैध बिक्री के मामले में गौलापार की भाभी का नाम पिछले 10 से अधिक सालों से सुर्खियों में हैं। अब नशे के कारोबार में चाची का नाम जुड़ चुका है। भाभी विशुद्ध रूप से शराब का धंधा करती है और चाची स्मैक तस्करी के जरिये अपने पैर पसार रही है। कुल मिलाकर हल्द्वानी के बनभूलपुरा के बाद गौलापार नशे की दूसरी मंडी बन चुका है। गौलापार के लोगों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वन अधिकारी समिति बागजाला ने आम बैठक की और पुलिस को भी बुलाया। लोगों ने नशा बेचने वालों के नाम पुलिस को लिखित में दिए हैं।
ग्राम पंचायत देवला तल्ला पजाया बागजाला के शिव मंदिर में अवैध नशे को लेकर आम बैठक हुई। बैठक में काठगोदाम पुलिस की ओर से खेड़ा चौकी प्रभारी मनोज कुमार भी पहुंचे। लोगों ने पुलिस को बताया कि बागजाला गांव में अवैध शराब, स्मैक और चरस का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। पुलिस को लिखित और मौखिक शिकायत करने पर भी तस्करों का फर्क नहीं पड़ रहा। लोगों ने खेड़ा चौकी प्रभारी को चेताया कि अगर नशे के कारोबार पर अंकुश नहीं लगा तो वह चौकी और थाने का घेराव करेंगे। आम बैठक में पूर्व ग्राम प्रधान त्रिलोक नौला, वन अधिकारी समिति के अध्यक्ष कुंदन सिंह, देवेंद्र, तेज सिंह बिष्ट, नारायण सिंह नगरकोटी, संजय नाथ, लक्ष्मी देवी, मंजू, पार्वती, कलावती, राधिका देवी, पूरन चंद्र भट्ट, किशनानंद भट्ट, कैलाश गोस्वामी, दीवान सिंह आदि थे।
ग्रामीणों ने इन तस्करों के नाम पुलिस को लिखित में दिए
– राजन नाथ
– देवेंद्र सिंह
– चंदन सिंह
– जसपाल
ये हैं स्मैक बेचने वाले
– महमूद उर्फ चाची
– मीनू खान
– सरदार
“हम कमीशन देते हैं, हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते”
आम बैठक में नशे की अवैध बिक्री को लेकर कई तरह की बातें सामने आईं। लोगों ने पुलिस को बताया कि अगर वह नशे का विरोध करते हैं तो तस्कर उन्हें धमकाते हैं। कहते हैं कि हम कमीशन देते हैं और हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इस मामले में गौलापार के ही एक व्यक्ति ने स्थानीय पुलिस चौकी से लेकर एसएसपी, डीजीपी और मुख्यमंत्री तक इस मामले की शिकायत पहुंचाई है, लेकिन मुकम्मल कार्रवाई नहीं हो पाई।
10 साल से कायम है गौलापार की भाभी का जलवा
एक दशक से अधिक का समय गुजर चुका है और गौलापार की भाभी का जलवा अभी भी कायम है। इन भाभी का असली नाम किसी को नहीं पता, सब इसे भाभी कहकर ही बुलाते हैं। पिछले एक दशक से भाभी शराब के अवैध कारोबार में संलिप्त है। पुलिस से लेकर आबकारी तक इस बात को जानता है, लेकिन इतने साल बीत जाने के बावजूद न तो आबकारी बड़ी कार्रवाई कर पाया और न ही पुलिस भाभी का संगठित गिरोह को सूचीबद्ध कर पाई।