– वर्ष 1954 में मची थी प्रयागराज (इलाहाबाद) में भगदड़, तभी से नेताओं के जाने पर है प्रतिबंध
Deaths in Mahakumbh, DDC : महाकुम्भ का इतिहास मौतों से दागदार है। सबसे ज्यादा मौतें एक बार में 800 लोगों की हुई थी। इन मौतों से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम भी जोड़ा जाता है। ये घटना वर्ष 1954 में घटी थी और इस महाकुंभ में नेहरू भी शामिल हुए थे। मौतों के बाद महाकुम्भ में किसी भी बड़े नेता के जाने पर पाबंदी लगा दी गई। आइए महाकुम्भ में घटी ऐसी कई घटनाओं के बारे में जानते हैं।
बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है, 1954 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु कुंभ में शाही स्नान के दौरान गए थे और संभवत इसी के कारण भगदड़ मची थी। इसके बाद जवाहरलाल नेहरु ने अपील की थी कि कोई भी नेता शाही स्नान के दिन कुंभ न जाए। आज भी सरकार के अधिकारी कुंभ में ऐसी ही अपील करते हैं। यही कारण है कि कोई भी नेता अब शाही स्नान के दिन संगम नहीं जाता।
इस घटना से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि भगदड़ एक हाथी की वजह से मची थी और तब से कुंभ में हाथी ले जाना भी प्रतिबंधित है।
महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में भारत के चार स्थानों प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक में होता है। इन मेलों में भारी भीड़ के कारण कुछ त्रासदियों की घटनाएं भी सामने आई हैं। इन घटनाओं में भगदड़, नाव दुर्घटनाओं, और अन्य दुर्घटनाओं के कारण मौतें हुई हैं। नीचे कुछ प्रमुख घटनाओं का उल्लेख है
प्रमुख घटनाएं और मौतों की संख्या
1. 1954 (प्रयागराज)
कुंभ मेले में भगदड़ के कारण लगभग 800 लोगों की मौत हुई और 2000 से अधिक लोग घायल हुए। यह घटना सबसे भीषण थी और इसके बाद कुंभ मेले में भीड़ प्रबंधन को लेकर सुधार किए गए।
2. 1986 (हरिद्वार)
गंगा नदी में नाव पलटने से करीब 50 लोगों की मौत हुई।
3. 2003 (नासिक)
भगदड़ के कारण करीब 39 लोगों की मौत हुई।
4. 2010 (हरिद्वार)
भगदड़ में 7 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए।
5. 2013 (प्रयागराज)
कुंभ मेले में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 36 लोगों की मौत हुई और 40 से अधिक घायल हुए। यह घटना उस समय हुई जब श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ प्लेटफॉर्म पर जमा हो गई थी।
सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में सुधार
इन घटनाओं के बाद कुंभ मेले में सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन, और परिवहन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए नई योजनाएं बनाई गईं।
आधुनिक तकनीकों जैसे CCTV कैमरे, ड्रोन निगरानी, और डिजिटल टिकटिंग की मदद से भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया।
इन ऐतिहासिक घटनाओं से सबक लेते हुए सरकार और प्रशासन हर कुंभ मेले में सुरक्षा और व्यवस्था को प्राथमिकता देती है।