बागेश्वर में धर्म भ्रष्ट करने की साजिश, उत्तरायणी में थूक वाली रोटी का वीडियो वायरल

– हिंदुओं के ऐतिहासिक मेले में समुदाय विशेष के लोगों के कारनामे से बागेश्वर में उबाल

Spit roti in Bageshwar, DDC : महाकुंभ 2025 में समुदाय विशेष के लोगों के दुकान लगाने पर जमकर विवाद हो चुका है। कहा जा रहा था कि यदि कुंभ में इनकी दुकानें लगी तो हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट हो सकता है। कुंभ का तो पता नहीं, लेकिन बागेश्वर में लगने वाले ऐतिहासिक उत्तरायणी कौतिक मेले में धर्म भ्रष्ट करने की साजिश रच दी गई। मेले में थूक वाली तंदूरी रोटी का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। जिसके बाद बागेश्वर का माहौल गर्म हो गया। स्थिति को भांपते हुए पुलिस ने न सिर्फ आरोपी समुदाय विशेष के दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया, बल्कि बागेश्वर में अलर्ट भी जारी कर दिया है।

घटना का विवरण
वीडियो में दिखाया गया कि नगर पालिका कार्यालय के पास स्थित एक होटल के कारीगर ने रोटी में थूककर उसे तंदूर में डाला। यह वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश फैल गया। वीडियो में दिखाए गए कारीगरों की पहचान आमीर (पुत्र शौकत अली) और फिरासत (पुत्र लियाकत) के रूप में की गई, जो टांडा रामपुर के निवासी हैं।

हिंदूवादी संगठनों का विरोध
वीडियो के वायरल होते ही हिंदूवादी संगठनों ने इस घटना का विरोध किया और रातों-रात कोतवाली में एकत्र हो गए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि प्रशासन और नगर पालिका ने बिना उचित जांच के बाहरी धर्म विशेष के व्यापारियों को खानपान की दुकानें आवंटित की हैं। उनका कहना था कि यह न केवल धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने वाली घटना है, बल्कि यह खाद्य सुरक्षा के मानकों का भी उल्लंघन है।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
हंगामा बढ़ने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ। उपजिलाधिकारी मोनिका और पुलिस उपाधीक्षक अजय लालसाह के नेतृत्व में पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंचा। हिंदूवादी नेताओं ने पुलिस को तहरीर दी और मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान आमीर और फिरासत के रूप में हुई है, जिनके खिलाफ उचित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। दोनों टांडा रामपुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।

खाद्य सुरक्षा पर सवाल
हिंदूवादी संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि नगर पालिका और खाद्य सुरक्षा विभाग ने अपनी लापरवाही के कारण बिना किसी जांच के बाहरी क्षेत्र के व्यापारियों को खानपान की दुकानों का आवंटन किया। उनका कहना था कि खुले में खाद्य सामग्री बेची जा रही है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा हो सकते हैं। उन्होंने खाद्य सुरक्षा विभाग से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

दुकानों पर असर
इस घटना के बाद इलाके में माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया। धार्मिक संवेदनाओं को लेकर कई दुकानदारों ने अस्थायी रूप से अपने व्यवसाय को बंद कर दिया। इस मामले ने नगर पालिका और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है। प्रशासन अब इस मामले में पूरी जांच कर रहा है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके और खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

उत्तरायणी मेले में हुई इस घटना ने प्रशासन, नगर पालिका और खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अब तक की कार्रवाई के आधार पर यह स्पष्ट है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है, लेकिन इससे क्षेत्रीय व्यापारियों और नागरिकों के बीच असंतोष बढ़ा है। मामले की आगे की जांच और कार्रवाई के परिणाम ही यह तय करेंगे कि ऐसे मामलों में सख्त कानून और नियमों का पालन किस हद तक किया जाता है।

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