नई दिल्ली। कनार्टक में कांग्रेस सरकार ने गुरुवार (22 फरवरी) विधानसभा में एक बिल पारित किया जो कि मंदिरों पर टैक्स लगाने के संबंध में है। जिसके तहत वो मंदिर जिनकी इनकम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है उनपर उन्हें 10% टैक्स देना होगा वहीं जिन मंदिरो की इनकम 1 करोड़ से कम और 10 लाख से ज्यादा है तो उनपर 5% टैक्स सरकार लगाएगी। इस बिल का नाम है ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’(Karnataka Hindu Religious Institutions and Charitable Endowments Bill 2024)। इस बिल को लेकर बीजेपी समेत कई संत कांग्रेस सरकार के विरोध में सामने आए। वहीं कांग्रेस ने इसका बिल का बचाव करते हुए कहा कि इस बिल को पास करने का मकसद राज्य में 40 से 50 हजार पुजारियों की मदद करना है।
बीजेपी के विरोध का जवाब देते हुए मंत्री रामलिंगा रेड्डी का कहते हैं कि हम हिंदू विरोधी नहीं हैं। बीजेपी के लोग हिंदू विरोधी है। ये कानून पहले 2003 में अस्तित्व में आया था। जिसके बाद इस कानून को लेकर साल 2011 में संशोधन किए गए। उस समय 5 लाख रुपये की आय वाले लगभग 34,000 मंदिर थे। जिन्होंने धर्मिका परिषद के लिए कोई पैसा नहीं दिया। वहीं वो मंदिर जिनकी इनकम 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक है, उन्हें 5% धर्मिका परिषद को देना पड़ता है। इसके अलावा कर्नाटक में 10 लाख रुपये से अधिक आय वाले लगभग 205 मंदिर – उन्हें 10% देना होगा। इन मंदिरो ने साल 2011 में विधानसभा में इस संशोधन को मंजूरी दी थी। हिंदू विरोधी कौन है? भाजपा कर्नाटक में सबसे ‘सी ग्रेड’ मंदिरों के हित में है।