हल्द्वानी में छुटभैये नेता का कारनामा, सरकारी जमीन पर खड़ा किया आशियाना

नहर पाटने के बाद मौके पर पहुंचे सिंचाई विभाग के अधिकारी।

– चम्बल पुल-कटघरिया मार्ग पर शर्मा आटा चक्की के सामने खुलेआम से चल रहा अवैध निर्माण का खेल

Leader’s house on government land, DDC : हल्द्वानी के एक छुटभैये नेता ने सारे सिस्टम को ताक पर रख दिया है। सोशल मीडिया पर हीरो की तरह नजर आने वाले सारे अधिकारियों की नाक के नीचे इस छुटभैये नेता ने सरकारी नहर और सरकारी भूमि कब्जा कर घर बना लिया। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता संजय शुक्ल तो मामले को लेकर संजीदा नजर आ रहे हैं और प्रशासन भी जांच की बात कह रहा है।

जमींदोज हो चुकी नहर पर पड़ी नेता की नजर
काठगोदाम क्षेत्र के पनचक्की चौराहे से लालडांठ रोड पर करीब आधा किलोमीटर दूर चंबल पुल है। चंबुल पुल से एक रास्ता लालडांठ की ओर और दूसरा कठघरिया की ओर जाता है। चंबल से आधा किलोमीटर कठघरिया की ओर चलने सिंचाई विभाग की अंग्रेजों के समय बनाई नहर थी, जिस पर सिंचाई विभाग का तास भी था। यह इलाका जवाहर ज्योति वार्ड 36 है। सिंचाई विभाग की यह नहर काम की नही रही और समय के साथ नहर व तास दोनों जमींदोज हो गए। जिसके बाद करीब डेढ़ बीघा जमीन पर एक छुटभैया नेता की नजर पड़ गई।

लगभग तलाब जैसी हो चुकी इस जमीन पर पहले मलबा डाल कर भरान कराया गया और फिर तीन कमरे बना दिए गए। इन कमरों में शटर लगाना बाकी है, जिसके बाद इसके व्यवसायिक उपयोग की योजना है। एक बड़ी बात कि जहां अतिक्रमण हो रहा है, वह गैर राजस्व क्षेत्र है और अतिक्रमण लगातार हो रहा है।

सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेई ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता संजय शुक्ल का कहना है कब्जा करने वाले को नोटिस दे दिया गया। वह स्वयं अतिक्रमण हटाने को कह रहा है। यदि एक दिन के भीतर अतिक्रमण नहीं हटता तो विभाग अपनी जेसीबी भेजेगा। मुख्य अभियंता के दखल पर अधिशासी अभियंता बीसी नैनवाल ने मौके पर पहुंचे तो अतिक्रमण पाया।

तीन करोड़ से अधिक कीमत की है जमीन
स्थानीय लोगों से इस बारे में जानकारी जुटाई तो बताया कि जिस जमीन पर कब्जा हो रहा है वह करीब डेढ़ बीघा है। वर्तमान में इस स्थान पर जमीनों की खरीद-फरोख्त तीन से पांच हजार रुपये स्क्वॉयर फीट में धड़ल्ले से हो रही है। अगर तीन हजार रुपये स्क्वायर फीट का भी दाम जोड़ा जाए तो यह जमीन तीन करोड़ रुपये से अधिक कीमत है। हालांकि यह जमीन सरकारी है और खरीदी-बेची नहीं जा सकती।

 

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