– वर्ष 2005 में केंद्र सरकार के हरियाली प्रोजेक्ट के तहत पक्का किया गया था पोखर, इसी पोखर पर है नेता का कब्जा
Damuwadhunga’s alleged leader, DDC : हल्द्वानी में कथित नेता जी के कारनामों के रोज नए खुलासे हो रहे हैं। पता लगा है कि इस नेता ने भारत सरकार के प्रोजेक्ट पर अपना आशियाना खड़ा कर लिया है। जिस सरकारी भूमि पर छुटभैया नेता इमारत का निर्माण करा रहा है, उस पर भारत सरकार के हरियाली प्रोजेक्ट के तहत पोखर को संरक्षित किया गया था।
दमुवाढूंगा इलाके के जवाहर ज्योति वार्ड 36 में शर्मा आटा चक्की के सामने कब्जे का खेल चल रहा है। हमने कुछ और पड़ताल की तो पता लगा कि जिस जमीन पर छुटभैये नेता ने कब्जा कर मकान या बाजार बना रहा है, वहां कभी पोखर यानी तालाब हुआ करता था। ये पोखर सरकारी था और केंद्र सरकार की योजना के तहत इसे पक्का किया गया था। वर्ष 2005 में यह क्षेत्र ग्राम पंचायत दमुवाढूंगा खाम (जवाहर ज्योति) के नाम से जाना जाता था, जो वर्ष 2014 से नगर निगम में शामिल हो गया।
वर्ष 2005 में भारत सरकार का हरियाली प्रोजेक्ट आया। जिसके तहत गांवों में कच्चे पोखरों को बचाने के लिए उन्हें पक्का करने का काम शुरू किया गया। तब दमुवाढूंगा खाम (जवाहर ज्योति) के ग्राम प्रधान विजय कुमार पप्पू ने इस पोखर को भी पक्का कराने का प्रयास किया। इसके लिए करीब 50 हजार रुपये केंद्र सरकार की ओर से जारी किया गया। तब जलागम के अधिशासी अभियंता रहे उपाध्याय को ब्लॉक में हो रहे तमाम पोखरों की मॉनिटरिंग के लिए तैनात किया गया। भूमि संरक्षण विभाग भी इस कार्य में शामिल था। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए बजट से पोखर के चारों ओर दीवार का निर्माण कर संरक्षित किया गया था, जिसे अब तथाकथित नेता खुर्द-बुर्द करने में जुटा है।
पुलिस चौकी बनाने की योजना का विरोध कर दिया
वर्ष 2005 में ग्राम प्रधान रहे विजय कुमार पप्पू का कहना है कि पोखर को कब्जा लिया गया है, लेकिन जब लोग इसे कब्जाने की कोशिश कर रहे थे तब कई लोगों ने इसे बचाने की कोशिश भी की थी। मांग की थी कि पोखर पर कोई कब्जा करे इससे अच्छा यहां पुलिस चौकी बना दी जाए, लेकिन जिन लोगों को लाभ लेना था, उन्होंने विरोध कर दिया। विजय का कहना है कि मौजूदा वक्त में पोखर की सवा बीघा से अधिक जमीन को कब्जा लिया गया है।
मेंटिनेंस के नाम पर रखावाया गया रुपया कहां गया
विजय ने एक बड़ा सवाल उस विभाग पर भी उठाया है, जिसने पोखर को पक्का करने का काम किया। उनका कहना है कि भारत सरकार के जारी बजट से पोखर को पक्का किया गया। जिसके बाद 20-25 हजार रुपये भारत सरकार ने अतिरिक्त दिए। ताकि भविष्य में पोखर का रख-रखाव कराया जा सके, लेकिन रख-रखाव के लिए एक रुपया खर्च नहीं किया गया और न ही पता लगा कि रख-रखाव का पैसा कहां गया।