– साफिया ने खुद निर्दोष बता कर मांगी थी जमानत, एक भी दलील नहीं आई काम
Safia’s bail rejected, DDC : कंपनी बाग (मलिक का बगीचा) भूमि प्रकरण में बंद सफिया मलिक ने न्यायालय के समक्ष जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। सफिया की दलील थी कि उसे उक्त भूमि पिता से उत्तराधिकार में मिली थी। पिता ने यह भूमि लीज पर ली थी। हालांकि सफिया की दलील काम नही आई और न्यायालय ने जमानत देने से इंकार कर दिया।
सहायक नगर आयुक्त ने दर्ज कराया था मुकदमा
इसी वर्ष 22 फरवरी को सहायक नगर आयुक्त गणेश भट्ट की ओर से अब्दुल मलिक, उसकी पत्नी साफिया मलिक, अख्तरी बेगम, नबी रजा खां, गौस रजा खां और अब्दुल लतीफ के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। सभी पर कंपनीबाग का बगीचा स्थित भूखंड पर मृत व्यक्ति के दस्तावेज लगाकर फर्जी तरीके से कब्जा करने, कोर्ट में मरे व्यक्ति के नाम से हाईकोर्ट में रिट डालने और उसे खुर्द-बुर्द करने का आरोप है।
विवादित भूखंड के लिए गए गूगल इमेज
साफिया मलिक के वकील ने जमानत याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया है। असल में साल 2006-2007 में नगर निगम में साफिया मलिक की ओर से बनभूलपुरा कंपनी बाग भूखंड को फ्री-होल्ड कराने की आर्जी दी गई थी। साफिया मलिक के मुताबिक यह जमीन उन्हें 2004 में नवी रजा खान से हिबा में मिली थी। जबकि नवी रजा की मौत साल 1988 में ही हो चुकी थी। इसके बाद भी लगातार नगर निगम को मृत व्यक्तियों के नाम से प्रार्थना पत्र पहुंचते रहे। जब जांच और तेज हुई तो पता चला कि विवादित भूखंड के गूगल इमेज भी लिए गए थे।
तो फरार होने की आशंका पर खारिज हुई जमानत
अलग-अलग समय पर ली गईं गूगल तस्वीरों से साफ पता चल रहा था कि कैसे साल-दर साल भूखंड पर लगे फलदार वृक्ष कम होने शुरू हो गए। साथ ही नजूल भूमि को स्टांप पेपर के जरिए लोगों को बेच तक दिया गया। तत्कालीन नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने अपने दस्तावेजी साक्ष्यों को मजबूती से तैयार किया था। पर्याप्त साक्ष्यों की मौजूदगी और प्रशासन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता एडीजीसी डीएस मेहरा ने मजबूत पैरवी ने जमानत पर छूटने के बाद साक्ष्यों में छेड़छाड़ व उसके फरार होने की आशंका जाहिर की। साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए प्रथम अपर सेशन न्यायाधीश कंवर अमनिन्दर सिंह की कोर्ट ने साफिया मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी।