नलकूप बना न पार्क, छुटभैये नेता ने पोखर पर बना लिया बाजार

पोखर की वो भूमि जिस पर कथित नेता ने कर लिया कब्जा।

– न अधिकारियों ने जहमत उठाई और न तब मेयर रहे डॉ.जोगेंद्र पाल सिंह रौलेता ने पार्षदों की सुनी

Leader’s possession of pond, DDC : भूगर्भीय जलस्तर को बढ़ाने के लिए सरकार और उच्च न्यायालय गंभीर है, लेकिन जिसे इस काम को अंजाम तक पहुंचाना है वो मौन हैं। दमुवाढूंगा में खाली पड़े पोखरों को पुर्नजीवित करना तो दूर प्रशासन इन्हें कब्जा होने से बचा भी नहीं पाया। इन अधिकारियों ने तो जनप्रतिनिधियों की सुनी और न ही तत्कालीन मेयर ने अपने पार्षदों की। खाली पड़े पोखर पर न नलकूप बन सका और ही पार्क। उल्टा एक स्थानीय छुटभैये नेता बाजार बना लिया और अब वो हजारों रुपये घर बैठे कमा रहा है। दमुवाढूंगा इलाके के जवाहर ज्योति वार्ड 36 में शर्मा आटा चक्की के सामने सरकारी पोखर को कब्जे का खेल चल रहा है। इस पोखर को केंद्र सरकार की योजना के तहत इसे पक्का किया गया था।

मेयर ने भी कर दिया था पार्षद के पत्र को अनदेखा
वर्ष 2021 में मनोनीत पार्षद रहे देवी दयाल उपाध्याय ने तब मेयर रहे डॉ.जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला को एक पत्र लिख कर उक्त भूमि को कब्जाए जाने की आशंका जाहिर की थी। उन्होंने तब लिखा था, नगर कवरिंग का काम तेजी से चल रहा और जनहित में निवेदन किया गया कि नगर के किनारे कई स्थानों पर जनता की सुविधा के लिए कपड़े धोने, पानी भरने और जानवरों को पानी पिलाने के लिए स्थान बनाए गए थे। ऐसे स्थानों पर नहर चौड़ी हो गई है। वर्तमान में ऐसे स्थान खाली छूट जाएंगे, जिससे जनता कब्जा सकती है। अत: ऐसे स्थानों का चिह्निकरण करके उसका सौंदर्यीकरण किया जा सकता है। जिसमें छोटे पार्क बनाए जा सकते हैं।

वर्ष 2017 में किया था नलकूप खुदवाने का अनुरोध
इससे पहले वर्ष 2017 में वार्ड 36 की पार्षद रहीं चम्पा देवी ने पेयजल निगम को खाली पड़े स्थान पर नलकूप लगाने का प्रस्ताव भेजा था। कहा था जवाहर ज्योति और शिवपुरी कालोनी में लगभग 500 परिवार पेयजल न होने के कारण अत्यधिक प्रभावित हैं। अगर एक नलकूप मित्रपुरम में पूर्व के गऊघाट, जो तब खाली जगह थी, उसे जनहित में प्रयोग करते हुए नलकूप खुदवाने का अनुरोध किया था, लेकिन न पेयजल निगम ने ध्यान दिया और न ही नलकूप बन पाया। अब इस सरकारी भूमि पर निजी इमारत खड़ी है।

हरियाली प्रोजेक्ट के तहत पक्का हुआ था पोखर
वर्ष 2005 में भारत सरकार का हरियाली प्रोजेक्ट आया और कच्चे पोखरों को पक्का करने का काम शुरू हुआ। योजना से 50 हजार रुपये केंद्र सरकार ने दिए और इस पोखर के चारों की ओर दीवार खड़ी गई। तब जलागम के अधिशासी अभियंता रहे उपाध्याय को ब्लॉक क्षेत्र के तमाम पोखरों की मॉनिटरिंग के लिए रखा गया। भूमि संरक्षण विभाग भी इस कार्य में शामिल था। हालांकि अब तथाकथित नेता इस पोखर को खुर्द-बुर्द कर रहा है।

पुलिस चौकी बनाने की योजना का विरोध कर दिया
वर्ष 2005 में ग्राम प्रधान रहे विजय कुमार पप्पू का कहना है कि पोखर को कब्जा लिया गया है, लेकिन जब लोग इसे कब्जाने की कोशिश कर रहे थे तब कई लोगों ने इसे बचाने की कोशिश भी की थी। मांग की थी कि पोखर पर कोई कब्जा करे इससे अच्छा यहां पुलिस चौकी बना दी जाए, लेकिन जिन लोगों को लाभ लेना था, उन्होंने विरोध कर दिया। विजय का कहना है कि मौजूदा वक्त में पोखर की सवा बीघा से अधिक जमीन को कब्जा लिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top