– कंपनी बाग (मलिक का बगीचा) को खुद-बुर्द करने के मामले में आरोपी बना साफिया और मलिक का बेटा अब्दुल मोईद
Malik Ka Bagicha or Company Baag, DDC : बनभूलपुरा में कंपनी बाग (मलिक का बगीचा) को खुर्द-बुर्द करने के मामले में अब्दुल मलिक और उसकी पत्नी साफिया मलिक सलाखों के पीछे हैं। साफिया 3 मार्च 2024 से अंदर। अब्दुल मलिक का बेटा भी बनभूलपुरा हिंसा में पिता के साथ मुख्य आरोपी है। अब्दुल मोईद का नाम पुलिस ने अब कंपनी बाग की नजूल भूमि को खुर्द-बुर्द करने में शामिल किया है। पुलिस ने तीन महीने बाद जो चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है, उसमें मोईद भी आरोपी है। 15 पन्नों की चार्जशीट में साफ किया गया है कि किस तरह मां-बेटे और बाप ने मिलकर कंपनी बाग की जमीन को खुर्द-बुर्द किया।
कंपनी बाग की ये वही जमीन है, जिस पर काबिज अवैध अतिक्रमण को ढहाने के एवज में लोगों ने हिंसा की। निजी, सरकारी वाहन और थाना फूंका गया। जमकर पथराव और गोलीबारी हुई और पांच लोगों की जान चली गई। इस मामले में चार मुकदमे हुए। चौथा मुकदमा नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त गणेश भट्ट ने 22 फरवरी को कोतवाली में दर्ज कराया। जिसमें अब्दुल मलिक, उसकी पत्नी साफिया मलिक, अख्तरी बेगम, नबी रजा खां, गौस रजा खां और बरेली निवासी अब्दुल लतीफ को नामजद किया गया।
फर्जीवाड़े के साथ मृत व्यक्ति के नाम से कोर्ट में याचिका लगाने का भी आरोप था। जांच शुरू हुई तो सरकारी भूमि को कब्जाने उलझाई गई गुत्थी खुलने लगी। नामजद के अलावा जांच में दो लोगों के नाम सामने आए, जिसमें एक नाम अब्दुल मलिक के बेटे अब्दुल मोईद का था। अब्दुल मोईद अपने पिता के साथ नैनीताल जेल में पहले ही बंद है। जांच में सामने आया कि दो लोग पूरे षड्यंत्र में शामिल हैं।
पहला आरोपी बाबू रजा नाम का व्यक्ति था। दूसरा बड़ा नाम अब्दुल मलिक के बेटे अब्दुल मोईद का है। मोईद को पुलिस ने बतौर आरोपी चार्जशीट में शामिल किया है। इसके बाद नैनीताल जेल में बंद अब्दुल मोईद को 14 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की और बयान दर्ज किए। एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा का कहना है कि चार्जशीट न्यायालय में दाखिल कर दी गई है। हमारे पास समय कम था, अन्यथा कुछ और लोगों के नाम भी चार्जशीट में दर्ज किए जाते। फिलहाल, अब्दुल मोईद की भूमिका सामने आने के बाद नाम जोड़ दिया गया है।
गौस रजा खां का बयान अहम, हो चुकी है मौत
पूरे षड्यंत्र में गौस रजा खां का नाम अहम हैं। 82 साल की उम्र में गौस ने बिस्तर पर दम तोड़ा। वह पहले दिल्ली में भर्ती था। मौत से पहले पुलिस ने गौस रजा खां के बयान दर्ज किए और ये बयान केस में बेहद अहम साबित होंगे। दरअसल, पुलिस ने शपथ पत्र को फर्जी बताया जा रहा है उस पर गौस के हस्ताक्षर हैं। जब गौस से पूछा गया तो उसने बताया कि वह वह लंबे समय से बिस्तर पर है। उसने न तो शपथ पत्र में हस्ताक्षर किए और न ही तहसील गया।
2120 पन्नों में दर्ज सबूत और सर्पोटिंग डॉक्यूमेंट
पुलिस ने सहायक नगर आयुक्त की ओर से दर्ज मामले की चार माह से अधिक समय तक जांच की और अब एक सप्ताह पहले चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट तो सिर्फ 15 पन्नों की है, लेकिन सहायक दस्तावेज 2120 पन्नों का है। जिसमें वो स्टांप और शामिल हैं, जिस पर जमीनें या मकान बेचे गए और रजिस्ट्री कराई गई। पुलिस ने कंपनी बाग में बिकी हर जमीन और मकान खरीदने वाले के साथ शपथ पत्र बनाने वाले वकील से भी पूछताछ कर बयान दर्ज किए है।
मकान किसी का, बिजली व पानी के कनेक्शन मोईद का
किस तरह नजूल की भूमि को खुर्द-बुर्द किया गया, वह सब चार्जशीट में दर्ज है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक मुख्य षड्यंत्रकारी अब्दुल मलिक, साफिया मलिक और अब्दुल मोईद ने मकान और प्लॉट तो बाबू को बेचा, लेकिन बिजली और पानी के कनेक्शन अब्दुल मोईद के नाम लिया। उक्त कनेक्शन लेने के एक या दो साल बाद मुख्य षड्यंत्रकारी ही उक्त भवन या प्लॉट को खरीद लेते थे।
खरीद-फरोख्त के सभी दस्तावेज निकले फर्जी
मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस की जांच में ऐसे और पांच नाम सामने आए हैं, जिनका इस पूरे षड्यंत्र में अहम किरदार है। हालांकि इनका नाम चार्जशीट में शामिल नहीं किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक बाबू रजा वही व्यक्ति था, जिसे अब्दुल मलिक ने आगे कर बगीचे में सवा करोड़ रुपये के प्लाट बेचे थे। फरवरी 2024 को बाबू रजा की मौत हो चुकी है। जांच में यह भी सामने आया कि अभी तक खरीद-फरोख्त के जितने भी दस्तावेज सामने आए, वो फर्जी निकले।