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जिसे पुरखों ने देखा, पीढ़ियों के लिए संजोया गया वो ‘चैंपियन ट्री’

– नंधौर वन्यजीव अभयारण्य के “चैंपियन ट्री” का किया गया संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र के लिए है विरासत

Champion Tree, DDC : बात जंगल की हो तो जेहन में सबसे पहले बाघ और हाथी की तस्वीर उभरती है, लेकिन सच यह है कि जब जंगल होंगे तभी जहन और जंगल में बाघ, हाथी पल पाएंगे। ऐसे में जरूरी है कि जंगलों का वास्तवित स्वरूप बना रहे। इन्हीं वास्तिवक स्वरूपों में से एक है ‘चैंपियन ट्री’। सेमल के इस वृक्ष को पुरखों ने देखा और अब पीढ़ियों के लिए वन विभाग इसे संजो रहा है। ठीक वैसे ही जैसे जंगल में बाघ और हाथी को संरक्षण किया जाता है।

नंधौर वन्यजीव अभयारण्य के जौलासाल रेंज में स्थित “चैंपियन ट्री”, एक विशाल सेमल वृक्ष इसका सजीव उदाहरण है। 94 फीट की परिधि वाला यह वृक्ष क्षेत्र का सबसे बड़ा दर्ज सेमल वृक्ष है, जो जैव विविधता और प्राकृतिक विरासत का प्रतीक है। वर्ष 2015 में यह वृक्ष वन अधिकारियों त्रिलोक सिंह बिष्ट, हेम पांडे और धर्म प्रकाश मौलखी की टीम ने खोजा था। एक समीपवर्ती नदी की धारा के लगातार कटाव के कारण इसकी जड़ें कमजोर हो रही थीं, जिससे इसके गिरने का खतरा बढ़ गया था।

नियमित निगरानी और दस्तावेजीकरण होगा
चैंपियन ट्री पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए डीएफओ हल्द्वानी कुंदन कुमार ने इसे संरक्षित करने की योजना बनाई। नदी तट पर तार क्रेट का निर्माण किया। ताकि चैंपियन ट्री के पास हो रहे कटाव को रोका जा सके। इस पहल की सफलता को देखते हुए वन विभाग ने वृक्ष की नियमित निगरानी और दस्तावेजीकरण की योजना बनाई है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाले दशकों तक यह जीवित और सुरक्षित बना रहे।

पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए जरूरी है संरक्षण
बाघ, हाथी जैसे प्रमुख वन्यजीवों का संरक्षण आवश्यक है, लेकिन पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने के लिए बड़े और प्राचीन वृक्षों का संरक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। विरासत वृक्ष न केवल अपनी विशालता के लिए विशेष है, बल्कि यह कई पक्षियों, कीटों, चमगादड़ों और अन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण आवास भी है। इसकी शाखाओं में घोंसले, परागण के लिए फूल और जीवों के लिए आहार मौजूद है।

जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन में कमी
प्राचीन वृक्ष कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं, जो वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन को धीमा करने में मदद करते हैं। ऐसे वृक्षों का संरक्षण जलवायु संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर
पुराने वृक्ष किसी भी समाज की विरासत होते हैं। जिस प्रकार हम ऐतिहासिक इमारतों और मंदिरों को संरक्षित करते हैं, वैसे ही प्राचीन वृक्ष भी इतिहास के साक्षी होते हैं और हमें प्रकृति से जोड़ने का कार्य करते हैं। विरासत वृक्ष की जड़ें भूमि को स्थिर रखती हैं और कटाव को रोकने में सहायक होती हैं। पास की नदी के कारण यह वृक्ष खतरे में था, इसलिए तार क्रेट संरचना द्वारा भूमि को स्थिर करके इसे बचाया गया।

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