भारत के इस गांव में प्रेगनेंट होने आती हैं औरतें, बदले में देती हैं पैसे

– आर्यन वैली का बिजनेस बना स्पर्म टूरिज्म, लंबी कदकाठी, नीली आंखे और प्योर ब्लड के मालिक हैं ब्रोकोपा

Pregnancy Tourism Ladakh, DDC : भारत का एक गांव ऐसा है जहां विदेश से महिलाएं गर्भवती होने के लिए आती हैं। भले ही ये बात आपको सुनने में अजीब लग रही हो, लेकिन ये बात एकदम सच है। हम बात कर रहे हैं कारगिल से 70 किलोमीटर दूर स्थित आर्यन वैली विलेज या आर्य वैली के बारे में। इन्हें ब्रोकोपा जनजाति का सदस्य माना जाता है। यहां अक्सर यूरोप से महिलाएं घूमने नहीं बल्कि यहां के मर्दों से खुद को प्रेग्रेंट कराने के लिए आती है। कहा जाता है कि आर्यन वैली के लोग अलेक्जेंडर द ग्रेट की सेना के वशंज है।

स्पर्म टूरिज्म के लिए विख्यात हुआ आर्यन वैली
आर्यन वैली विश्व में स्पर्म टूरिज्म के लिए विख्यात हो चुका है। दरअसल, अलेक्जेंडर द ग्रेट जब हारने के बाद भारत से जा रहा था तो उसकी सेना के कुछ लोग भारत में ही रह गए। जिसके बाद से लेकर आजतक उनके वंशज ही इस गांव में रह रहे हैं। अब यूरोप की महिलाएं अलेक्जेंडर द ग्रेट के सैनिकों के जैसे ही बच्चों की चाह लिए इस गांव में आ जाती हैं। जहां वो यहां रहने वाले पुरुषों के साथ इस उम्मीद में संबंध बनाती है, ताकि उनके बच्चे भी सैनिकों की तरह ही लंबी कदकाठी, नीली आंखें और मजबूत शरीर वाले हों। ये लोग आर्यन हैं जिनकी ब्‍लड लाइन एकदम प्योर है।

दूसरी जाति या समुदाय में शादी करने वालों को बहिष्कार
इतिहासकारों के मुताबिक, 1991 में केवल 1900 ब्रोकपा लोग बचे थे और ये लोग लद्दाख में 4 गांवों में रहते हैं। ये लोग जाति और नस्ल को लेकर विशेष ख्याल रखते थे। इन्होंने खुद को दुनिया से अलग कर अपना समुदाय बनाया है। यदि इनकी जाति की कोई लड़की दूसरी जाति या समुदाय में शादी करती है तो उसे गांव में आने की इजाजत नहीं होती।

प्रेगनेंसी के लिए पैसे देती हैं महिलाएं
इतिहास के पन्नों को पलटकर देखेंगे तो पाएंगे एक समय में हिटलर ने उन मासूम लोगों की हत्या करवा दी थी, जो आर्यन नस्ल से नहीं थे। आर्यन नस्ल के लोगों को दुनियाभर में सबसे ‘प्योर ब्लड’ के तौर पर जाना जाता है। इसके बदले ये यूरोपियन महिलाएं यहां के मर्दों को पैसे देती हैं और काम पूरा हो जाने के बाद अपने देश चली जाती है। ये सारी चीजें इतने समय से यहां चल रही हैं कि आज के समय ये यहां के लोगों के लिए बिजनेस की तरह हो गया है। विदेशी महिलाएं सैनिकों की तरह ही बच्चों की ख्वाहिश में यहां आ जाती है।

कलरफुल कपड़े और ब्रेक्सकाड भाषा बोलते हैं
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुदरत ने इन्हें बेपनाह खूबसूरती बख्शी है और वहां दो हजार से अधिक शुद्ध आर्यन आज भी जिंदा हैं। यहां रहने वाले लोगों की संस्कृति अन्य लोगों से बिल्कुल अलग है। इन लोगों के कपड़े कलरफुल होते हैं। इसके अलावा ये लोग ब्रेक्सकाड भाषा बोलते हैं। अगर आप इन लोगों से बात कर सकते हैं, इन लोगों को हिन्दी भी आती है। इनकी फोटो खींचने के लिए भी पैसे देने होते हैं।

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